हिंदी पर उबलेगा तमिलनाडु! सीएम एमके स्टालिन घमासान के मूड में, पारित कराया प्रस्ताव…

चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव प्रदेश में हिंदी भाषा लागू करने के खिलाफ पेश किया गया है। प्रस्ताव लाते हुए स्टालिन ने कहा कि भाजपा सोचती है कि वह केवल हिंदी लागू कराने के लिए सत्ता में आई हुई है। मंगलवार को विधानसभा में दिए भाषण के दौरान स्टालिन ने कहा बात केवल आधिकारिक या प्रशासनिक भाषा बनाने की नहीं है। भाजपा हिंदी को ताकत का प्रतीक बनाना चाहती है। 

उनका दिल हिंदी के लिए धड़कता है
स्टालिन ने कहा कि भाजपा अंग्रेजी को प्रशासन से पूरी तरह से हटाना चाहती है। वह लोगों को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हासिल करने से रोकना चाहती है। भाजपा कहती है कि प्रदेश की भाषा केवल बोलचाल के लिए है। उनका दिल तो हिंदी के लिए धड़कता है। स्टालिन ने कहा कि अगर भाजपा सभी भाषाओं से प्यार करती है तो वह आठवीं अनुसूची के तहत तमिल व अन्य भाषाओं को केंद्र सरकार की प्रशासनिक भाषा क्यों नहीं घोषित करती?

गैर हिंदी भाषियों पर न थोपें
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रदेश डुअल लैंग्वेज पॉलिसी (अंग्रेजी और तमिल) के साथ चल रहा है। साथ ही हम चाहते हैं कि सभी प्रादेशिक भाषाओं को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जाए। तमिलनाडु के लोग यह जानते हैं, तभी वह केवल तीन भाषाओं पर आधारित नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं। स्टालिन ने कहा कि हिंदी को गैर-हिंदीभाषी लोगों पर थोपा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गैर हिंदीभाषियों के लिए अंग्रेजी का विकल्प होना ही चाहिए। केवल हिंदी भाषियों को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए और अगर ऐसा होता है यह संविधान का उल्लंघन होगा। 

भारत को बांटना चाहती है भाजपा
स्टालिन ने आगे कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भारत को तीन हिस्सों में बांटना चाहती है-हिंदी भाषी प्रदेश, ऐसे प्रदेश जहां कम हिंदी बोली जाती है और वह प्रदेश जहां हिंदी बोली ही नहीं जाती है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु इस तीसरी श्रेणी में आता है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि हम पुरानी भाषा और इसकी संस्कृति के मालिक हैं। हमें तीसरी श्रेणी का नागरिक बनाने की कोशिश की जा रही है। हम सभी को इसके खिलाफ खड़ा होना होगा और अपनी आवाज बुलंद करनी होगी। 

याद किया 1965 हिंदी विरोधी आंदोलन
इस दौरान स्टालिन ने 1965 के हिंदी विरोधी आंदोलन को भी याद किया। उन्होंने कहा कि डीएमके ने यह आंदोलन चलाया था और इसके बाद वह पहली बार सत्ता में आई थी। स्टालिन ने कहा कि भाषा हमारी जिंदगी, हमारी भावना और हमारा भविष्य है। डीएमके की स्थापना ही अपनी मातृ भाषा को अन्य भाषाओं के प्रभाव से बचाने के लिए हुई थी। उन्होंने कहा कि भाजपा हिंदी को लागू करके अन्य भाषाओं को नष्ट करने पर तुली हुई है और ‘देश एक, सबकुछ एक’  की पॉलिसी की तहत एक भाषा बनाना चाहती है।

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