नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन तोड़ने का फैसला कर लिया है। इसकी औपचारिक घोषणा पटना में जनता दल यूनाइटेड विधायक दल की बैठक के बाद हो सकती है। नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। तेजस्वी यादव ने समर्थन देने की सूचना नीतीश तक पहुंचा दी है। नई कैबिनेट में गृह मंत्रालय पर पेंच बना हुआ है। सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी यादव ने गृह मंत्रालय आरजेडी को देने की मांग की है। नीतीश कुमार 2005 से ही कार्मिक और गृह विभाग अपने पास रखते आए हैं। इसके अलावा सारी डील फाइनल है।
भाजपा के कुछ विधायक पटना में तेजी से बदल रहे घटनाक्रम के बीच दिल्ली में थे। वो वापस पटना लौट रहे हैं। उन्हें साफ संदेश दे दिया गया है कि अब नीतीश कुमार के साथ गठबंधन की गुंजाइश बची नहीं है। इसलिए भाजपा अपने बूते बिहार में खुद को मजबूत करने की कोशिश करेगी। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार से भाजपा के हाई कमान ने बातचीत की है लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई है। नीतीश कुमार की खुन्नस जेडीयू तोड़ने की कथित साजिश को लेकर है।
नीतीश कुमार के करीबी नेताओं का मानना है कि आरसीपी सिंह के साथ मिलकर भाजपा ने जेडीयू को दो फाड़ करने की कोशिश की। ललन सिंह ने इसीलिए चिराग पासवान मॉडल का जिक्र किया था। नीतीश के मुताबिक महाराष्ट्र की तरह ऑपरेशन लोटस चलाना विश्वासघात है। जेडीयू कोटे से एक काबीना मंत्री ने बताया कि 2020 के बाद से ही नीतीश कुमार को लग रहा था कि उनके कद को छोटा करने की कोशिश की जा रही है। ये काम कोई और नहीं बल्कि बीजेपी कर रही है। सुशील मोदी को हटाकर रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद को डिप्टी सीएम बनाना भी नीतीश कुमार के मुताबिक इसी प्लान का हिस्सा है।
नीतीश का 2024 प्लान
उधर भाजपा खेमा इसे नीतीश कुमार की चाल बता रहा है। भाजपा कोटे से नीतीश कुमार कैबिनेट में एक सीनियर मंत्री ने एनबीटी को बताया कि नीतीश की महत्वाकांक्षा 2024 लोकसभा चुनाव है। वो चाहते हैं कि पीएम उम्मीदवार बने। हालांकि इसकी तस्दीक जेडीयू के तरफ से नहीं है। उस मंत्री ने ये बताया कि डील के तहत डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव नहीं होंगे। 2024 में उन्हें जरूर बिहार का प्रभार सौंप दिया जाएगा और नीतीश दिल्ली की तरफ रूख करेंगे।
भाजपा की स्टेट यूनिट ये मानती है कि नीतीश कुमार को सीएम बना देना ही गलती थी। पार्टी को बिहार में बढ़ते जनाधार का फायदा उठाकर खुद अपने बूते आगे बढ़ना चाहिए था। नीतीश को सीएम बनाए जाने के बाद नीतीश कुमार ने भाजपा कोटे के मंत्रियों के स्वतंत्र फैसलों पर हमेशा सवाल उठाए जिससे जनता में गलत संदेश गया है।
अगर नंबर गेम की बात करें तो जेडीयू के 45 और आरजेडी के 79 विधायकों को मिलाकर 124 का आंकड़ा बैठता है। बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा है। अभी अनंत सिंह की सदस्यता खत्म हुई है। वो आरजेडी से विधायक थे। इस लिहाज से बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 है। अब ये नहीं पता चल सका है कि एनडीए के घटक लोजपा और जीतनराम मांझी की पार्टी किस तरफ जाएगी।