विश्व में वीर हनुमान जी का इकलौता झिंगुरदा मंदिर जहां फूल माला से पहले चढ़ती नारियल से त्रिकाल बलि, तांत्रिकों द्वारा सिद्ध पीठ में की जाती तपस्या सिंगरौली राजवंश द्वारा कराया गया दक्षिण भारत की शैली में हनुमान मंदिर का निर्माण अपने आप प्रकट हुई प्रतिमा, छत्रपति शिवाजी के समर्थ गुरु रामदास ने भी यहां आकर की आराधना मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश सीमा पर औड़ी पहाड़ी में झिंगुरदा हनुमान मंदिर स्थित है। यह दुनिया का ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां लड्डू, माला फूल चढ़ाने से पहले नारियल की बलि चढ़ाई जाती है। यहां पर भक्त मन्नत के लिए नारियल में चुनरी बांधते हैं और मुराद पूर्ण होने पर इसे खोलकर भंडारा देते हैं। इसके अतिरिक्त यहां कल अर्पित करने की भी परंपरा है। इसके लिए फूल यहां से महज दो से तीन किमी की दूरी पर प्राकृतिक सुषमा समेटे टिप्पा झरिया सरोवर से लाए जाते हैं। झरिया सरोवर में साल के बारहों महीने कमल खिला रहता है। इस स्थान पर दो हजार साल पूर्व खुद ब खुद ही प्रतिमा प्रकट हुई थी। जिसके बाद सिंगरौली राजघराने ने विधिवत पूजन अर्चना शुरू कराया। 200 साल पूर्व सिंगरौली राजघराने की तरफ से यहां दक्षिण भारत की शैली में भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण भी कराया गया। ये भी कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी के काल में समर्थ गुरु रामदास ने भी यहां आकर हनुमान जी की आराधना की थी। तांत्रिकों की नजर में भी यह सिद्धपीठ काफी महत्वपूर्ण है। यहां पहुंचने के लिए निजी साधन ही सहारा है। अनपरा के कहुआनाला होकर बिछड़ी जंगल से होते हुए महज तीन से चार किमी की दूरी तय कर मंदिर पहुंचा जा सकता है। वहीं अनपरा सिंगरौली रोड से मोरवा होते हुए झिंगुरदा के रास्ते पर मंदिर पहुंचने का रास्ता है। इसकी दूरी करीब 15 किमी है.