भोपाल। इसे डैमेज कंट्रोल कहे या कुछ और लेकिन कमलनाथ कैंप की तरफ से खबर आई है कि उनके मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा, भाजपा के दो नेताओं के कांटेक्ट में थे। कुछ गोपनीय जानकारियां लीक कर रहे थे। इसलिए कमलनाथ ने उन्हें किनारे कर दिया और अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए नरेंद्र सलूजा को इस्तीफा देना पड़ा। जैसा कि हमेशा होता है, इन दावों के समर्थन में कोई तथ्य और प्रमाण उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।
भोपाल में नरेंद्र सलूजा को कमलनाथ का सबसे पहला कट्टर समर्थक माना जाता था। सलूजा के इस्तीफे से कमलनाथ की प्रतिष्ठा प्रभावित हुई। कहा गया कि वह अपने वफादार साथियों का ध्यान नहीं रखते। इन खबरों के बाद कमलनाथ कैंप की तरफ से पत्रकारों को बताया गया कि कमलनाथ ने दिल्ली की एक कंपनी से नरेंद्र सलूजा की जांच करवाई थी। पिछले 1 साल के ट्वीट इन्वेस्टिगेशन में शामिल किए गए।
जांच एजेंसी ने कमलनाथ को बताया कि नरेंद्र सलूजा और भाजपा के दो नेताओं के बीच केमिस्ट्री देखने को मिल रही है। कमलनाथ के विशेषज्ञों ने इस विषय पर अनुसंधान किया और निष्कर्ष निकाला कि भाजपा के दो नेताओं के साथ नरेंद्र सलूजा ने व्यक्तिगत संबंध बना लिए हैं। वह गोपनीय जानकारी लीक कर रहे हैं। जिसके कारण कमलनाथ को नुकसान हो रहा है।
इस पूरी प्रक्रिया की कोई रिपोर्ट और रिकॉर्ड नहीं है लेकिन कहा जा रहा है कि इसी के आधार पर कमलनाथ ने नरेंद्र सलूजा को किनारे कर दिया। मीडिया विभाग में चेयरमैन नहीं बनाया। वाइस प्रेसिडेंट होने के बावजूद उनकी नेम प्लेट पीसीसी से हटा दी गई। उनका कमरा किसी और को आवंटित कर दिया क्या। शायद कमलनाथ को पता था कि नरेंद्र सलूजा इस्तीफा देंगे। पहले भी तीन बार दे चुके हैं। इस बार इस्तीफा मंजूर कर लिया क्या।
बात सही है या गलत यह तो पता नहीं लेकिन एक चर्चा के बाद दूसरी चर्चा शुरू हो गई है। इंतजार इस बात का है कि नरेंद्र सलूजा क्या करते हैं।