1- पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की ख्याति एक लेखक,कवि और वरिष्ठ साहित्यकार के रूप में हैं लेकिन वो एक स्वतन्त्रता सेनानी भी थे.इसके अलावा उनकी पहचान एक जागरूक और कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार की भी थी. इस वजह से ही उनके नाम पर पत्रकारिता को समर्पित एशिया की पहली यूनिवर्सिटी “माखनलाल चतुर्वेदी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन” का नाम रखा गया.
2- माखनलाल “पंडितजी” के नाम से भी विख्यात है. माखनलाल चतुर्वेदी को ब्रिटिश राज के दौरान स्वतंत्रता के लिए चलने वाले विभिन्न आंदोलनों में दिए योगदान के कारण भी याद किया जाता हैं.
3- पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की रचनायें “पुष्प की अभिलाषा: और “हीम-तरंगिनी” आज भी उतनी ही प्रसिद्द हैं जितनी उस समय थी, जब इसकी रचना हुई थी. वो भारत के स्वतन्त्रता के लिए कई बार जेल भी गए थे,लेकिन स्वतन्त्रता के बाद उन्होंने सरकार में कोई पद लेने से मना कर दिया.
4-पंडित माखनलाल चतुर्वेदी स्वतंत्रता से पहले और बाद में भी लगातार कई समय तक सामाजिक अन्याय के विरुद्ध लिखते रहे,और महात्मा गाँधी के दिखाए सत्य अहिंसा और मार्ग पर चलते रहे. उनकी कविताओं में भी देश के प्रति समर्पण और प्रेम को देखा जा सकता हैं.
5-माखनलाल 1955 में साहित्य एकेडमी का अवार्ड जीतने वाले पहले व्यक्ति हैं.
6-हिंदी साहित्य में अभूतपूर्व योगदान देने के कारण ही पंडितजी को 1959 में सागर यूनिवर्सिटी से डी.लिट् की उपाधि भी प्रदान की गयी.
7-1963 में माखनलाल चतुर्वेदी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपूर्व योगदान के कारण पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया.