एनिवर्सरी स्पेशल : ये है शिवराज सिंह चौहान की प्रेम कहानी

आज शिवराज सिंह चौहान के बारे में वो बातें जानते हैं, जो कि राजनीति का हिस्सा नहीं हैं।

शिवराज सिंह चौहान ने किया था शादी ना करने का फैसला

बात करते हैं उनकी प्रेम कहानी की जिसके बारे में सबको पता नहीं हैं, दरअसल 5 मार्च, 1959 को जैतगांव, सिहोर जिले में जन्मे शिवराज सिंह चौहान का रूख बचपन से ही राजनीति की ओर हो गया था, साल 1972 में ही शिवराज सिंह चौहान ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ से जुड़ गए थे और राजनीतिक आंदोलन और सेवा श्रम करते हुए शिवराज सिंह ने फैसला कर लिया था कि वो आजीवन अविवाहित ही रहेंगे। उन्होंने अपने माता-पिता के सामने ही हमेशा कुंवारे रहने की प्रतिज्ञा भी ले ली थी।

बहन ने की थी साधना सिंह से मिलने की जिद

माता-पिता की तमाम कोशिशों के बावजूद भी जब शिवराज सिंह नहीं माने तो मां-बाप ने भी जिद छोड़ दी और उनसे छोटे भाई और बहनों की शादी करवाना शुरू कर दी लेकिन 1991 में शिवराज सिंह चौहान की सोच बदल गई, वो इसी साल पहली बार विदिशा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए थे जिसके बाद उनकी बहन ने उनके सामने एक लड़की से शादी का प्रस्ताव रखा, हालांकि शिवराज सिंह ने मना कर दिया लेकिन बहन की हठ के आगे उन्होंने एक बार उस लड़की को मिलने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, हालांकि वो ये सोचे बैठे थे कि वो लड़की से मिलते ही शादी के लिए मना कर देंगे लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था।

पहली नजर में दिल दे बैठे थे शिवराज

वो लड़की थीं गोदिंया के मतानी परिवार की बेटी साधना, जिन्हें देखते ही शिवराज सिंह आपनी सारी प्रतिज्ञा भूल गए, साधना पहली ही नजर में शिवराज सिंह को भा गईं और उन्होंने शादी के लिए हां बोल दिया, साधना की सादगी ने शिवराज सिंह को इस कदर प्रभावित कर दिया कि उन्होंने अपने प्रेम की बात कहने के लिए साधना को पत्र भी लिखा था। जिसमें अपने प्रेम के इजहार के साथ ही साधना को शिवराज सिंह ने अपने काम के बारे में और समाज सेवा के बारे में बताया था और कहा था कि वो सामान्य पति-पत्नी जैसा जीवन नहीं जी सकते हैं।

6 मई 1992 को शिवराज और साधना शादी के बंधन में बंध गए

साधना को भी शिवराज सिंह की ये सच्चाई भा गईं और उन्होंने उनके साथ जिंदगी व्यतीत करने का फैसला ले लिया और आज दोनों आदर्श पति-पत्नी के रूप में समाज में जाने जाते हैं। 6 मई 1992 को शिवराज और साधना शादी के बंधन में बंध गए, विवाह के बाद शिवराज सिंह का कद राजनीति में बढ़ता चला गया और साधना के ऊपर घर की जिम्मेदारी बढ़ गई लेकिन साधना अपना वचन निभाते हुए बखूबी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं।

ऐसे बनी वो शिव की साधना

एक इंटरव्यू में शिवराज सिंह ने कहा था कि साधना ने उनसे कभी कोई जिद नहीं की और जब बेटे कुणाल और कार्तिकेय स्कूल जाने लगे तो पैरेंट्स टीचर मीटिंग से लेकर पढ़ाई तक सब जवाबदारी उनकी पत्नी ने ही संभाली है, हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है और मेरी सफलता के पीछे मेरी पत्नी साधना ही हैं।