वो कहते है ना, कि ‘ये दुनिया उगते सूरज को सलाम करती है।’ मगर वही सूरज जब शाम को ढल जाता है तो कोई भी शख्स उस सूरज को देखना पसंद नहीं करता है। बॉलीवुड इंडस्ट्री भी कुछ इस तरह की ही है, जहां हर कामयाब सितारे को लोग पुछा करते है और उसकी कदर की जाती है। आज हम आपको इसी से जुड़ा एक ऐसा किस्सा बताने जा रहे है जिसमें सदी के महानायक Amitabh Bachchan का अहम किरदार रहा है। हम बात कर रहे है दिवंगत लेखक और अभिनेता Kadar Khan की, जिन्होंने एक समय में ना सिर्फ कई सुपरहिट फिल्मों के लिए डायलॉग लिखे बल्कि कई सुपरहिट फिल्मों में अपने अभिनय से लोगों का दिल भी जीत लिया था।
३१ दिसंबर २०१८ के दिन इस दुनिया को अलविदा कह चुके Kadar Khan आज भले ही हमारे बीच नहीं रहे, मगर बॉलीवुड को दिए उनके योगदान को सदियों तक भुलाया नहीं जा सकता है। कादर ख़ान उन चंद हुनरमंदों में शुमार होते हैं, जिनमें बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं।
अपने पांच दशकों से ज़्यादा लम्बे करियर में Kadar Khan ने तक़रीबन हर तरह के किरदार को पर्दे पर पेश किया। विलेन बने। कॉमेडी की और चरित्र रोल भी निभाये। मगर, उनकी सबसे अधिक चर्चा उनके ख़ास तरह के संवादों के लिए होती है, जिनमें वक़्त और दौर की ज़रूरत के साथ ज़िंदगी का एक फलसफा छिपा रहता था। भूख, ग़रीबी, भ्रष्टाचार पर एक टिप्पणी होती है।
साल १९७३ में राजेश की फिल्म ‘दाग’ से बॉलीवुड की फिल्मों में अभिनय की शुरुवात करने वाले Kadar Khan को अभिनेता राजेश खन्ना ने ही अपनी फिल्म ‘रोटी’ के डायलॉग लिखने का मौका दिया था। करीब ३०० से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय करने और करीब २५० से भी ज्यादा फिल्मों के लिए डायलॉग लिखने वाले कादर खान के जीवन में एक ऐसा समय भी आया था जब उन्हें कोई काम नहीं दे रहा था और जो काम उनके पास पहले से था उसे भी छीन लिया गया। इसकी वजह कोई और नहीं बल्कि सदी के महानायक Amitabh Bachchan थे।
वैसे तो Amitabh Bachchan और Kadar Khan ने एक साथ कई फिल्मों के लिए काम किया है और अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक बनाने में कादर खान का बहुत बड़ा योगदान रहा है। अमिताभ के बाद कादर खान ऐसे शख्स थे जिन्होंने मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा इन दोनों के साथ किया था।
कादर ख़ान ने ‘कुली’, ‘देश प्रेमी’, ‘सुहाग’, ‘परवरिश’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘शराबी’, ‘लावारिस’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘खून पसीना’, ‘दो और दो पांच’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘इंकलाब’, ‘गिरफ्तार’, ‘हम’ और ‘अग्निपथ’ जैसी फिल्मों के लिए डायलॉग लिखे थे।
Kadar Khan ने इंटरव्यू के दौरान बताया था कि एक दक्षिण भारत के निर्माता ने उन्हें अपनी फिल्म में डायलॉग राइटर का काम के लिए बात करने के लिए बुलाया था। उस निर्माता ने कादर खान को कहा कि ‘आप जाकर सर जी से मिल लो।’ इस पर Kadar Khan के पूछे जाने पर कि ‘ये सर जी कौन है’, तो उस निर्माता ने अमिताभ बच्चन की ओर इशारा करते हुए कहा कि ‘क्या आप सर जी को नहीं जानते? अरे Amitabh Bachchan।’ कादर खान ने ये सुनते ही उस निर्माता से पूछ लिया कि ‘ये सर जी कब से हो गए?’
कादर ख़ान के मुताबिक अमिताभ बच्चन को सर जी कहने से इनकार कर देना और कादर खान के लिए मुसीबतों को बुलावा भेज देने जैसा हो गया। कादर खान अमिताभ की ही फिल्म ‘गंगा जमुना सरस्वती’ के लिए संवाद लिख रह थे जो कि आधी लिखने के बावजूद उन्हें छोड़नी पड़ी। अमिताभ की ही फिल्म ‘खुदा गवाह’ से उन्हें निकाल दिया गया। और भी ऐसी कई सारी फ़िल्में थी जो कादर ख़ान कर रहे थे उन सब निर्माताओं ने इनसे ये सारे काम छीन लिए गए।
कादर साहब ने अमिताभ बच्चन को सर जी कहने से इनकार कर दिया, क्यूंकि वो दोस्ती इतनी गहरी थी कि कादर ख़ान को ये लगता था कि दोस्ती यारी में सर जी कहना सही नहीं है, मगर यक़ीनन कादर साहब ने ये कभी नहीं सोचा होगा कि जिस शख्स को वो अपना सबसे गहरा दोस्त बता रहे है, शायद वो दोस्ती, स्टारडम के आगे छोटी पड़ गयी। जिसका नतीजा ये हुआ कि जीवन के आखिरी समय तक उनके पास करने को कोई काम ना मिला।