राजस्थान के उदयपुर जिले से करीब 96 किलोमीटर की दूरी पर रणकपुर नामक जगह पर एक चतुर्मुखी जैन मंदिर है| इस मंदिर की नक्काशी और कलाकृति देखकर हर इंसान मंत्रमुग्ध हो जाता है| सबसे ख़ास बात यह है कि यह मंदिर 1444 खंभों पर टिके होने के कारण आज पूरी दुनिया में मशहूर हो गया है|
आचार्य श्यामसुन्दरजी, धरन शाह, कुम्भा राणा और देपा नामक ४ श्रद्धालुओं ने इस मंदिर निर्माण कराया था। आचार्य श्यामसुंदर एक धार्मिक नेता थे जबकि कुम्भा राणा मलगढ़ के राजा और धरन शाह उनके मंत्री थे। धरन शाह ने धार्मिक प्रवित्तियों से प्रेरित होकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर बनवाने का निर्णय लिया था।
मंदिर के निर्माण के लिए धरन शाह को मलगढ़ के राजा कुम्भा राणा ने जमीन दी। उन्होंने मंदिर के निर्माण के साथ एक नगर बसाने का सुझाव भी दिया। मदगी नामक गांव और इस मंदिर के निर्माण का कार्य साथ में शुरू किया गया। मंदिर की वास्तुकला के लिए कई वास्तुकारों को आमंत्रित किया गया मगर किसी की भी योजना उन्हें पसंद नहीं आयी। अंत में दीपक नामक एक साधारण से वास्तुकार की योजना उन्हें पसंद आयी।
इस मंदिर के अंदर जाते ही इन हजारों खंभों पर नक्काशी देखने में बेहद ही खूबसूरत दिखाई पड़ती है और ख़ास बात यह है कि मंदिर के किसी भी खंभे से जहां से भी नज़र जायेगी आपको मुख्य मूर्ति के दर्शन मिल जाएंगे| इतना ही नहीं इसके अलावा मंदिर में कई तहखानों को भी बनवाया गया है, ताकि संकट के समय तहखानों में पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखा जा सके|
जैन धर्म के पांच प्रमुख मंदिरों में से एक ये मंदिर है| इसके मुख्य गृह में तीर्थकर आदिनाथ की संगमरमर की बनी चार मूर्तियां भी है| इस मंदिर में 76 छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, चार बड़े प्राथना कक्ष और चार बड़े पूजन स्थल भी है| इस मंदिर की खूबसूरत नक्काशी और कलाकृति को देखने दूर-दूर से कई पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है|