हड्डी जोड़ने वाले हनुमान
कटनी जिले से करीब 35 किमी दूर मोहास गांव में हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस मंदिर को हड्डी जोड़ने वाले हनुमान धाम के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के इस चमत्कार के कई लोग साक्षी हैं। यहां मरीज टूटी हड्डी लेकर आते हैं और स्वस्थ होकर घर जाते हैं। मंदिर में हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन मंगलवार और शनिवार के दिन यहां बाकी दिनों से ज्यादा भीड़ होती है। मंदिर में मौजूद साधु हड्डी टूटने से पीड़ित लोगों को एक जड़ी खिलाते हैं जड़ी के प्रभाव से टूटी हड्डियां कुछ ही समय में जुड़ जाती हैं। भक्तों को ये जड़ी नि:शुल्क खिलाई जाती है।
सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान
शाजापुर जिले के बोलाई गांव में सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर मौजूद है। करीब 600 साल पुराना यह मंदिर अपने चमत्कारी किस्सों के लिए जाना जाता है। खेड़ापति हनुमान मंदिर रतलाम-भोपाल रेलवे ट्रेक के बीच बोलाई स्टेशन से करीब 1 किमी की दूरी पर मौजूद है। इस मंदिर में हनुमान जी भगवान गणेश के साथ एक ही प्रतिमा में विराजमान हैं, जिसके चलते यहां मंगलवार, बुधवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।
सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां हनुमान जी भविष्य बताते हैं। इस मंदिर में आने वाले लोगों को अपने साथ होने वाली घटनाओं के बारे में पहले से ही जानकारी लग जाती है। सालों पहले मंदिर के पास दो मालगाड़ियों में टक्कर हो गई थी, हादसे के बाद मालगाड़ियों के पायलट ने बताया कि उन्हें एक्सीडेंट के बारे में पहले ही पूर्वाभास हो गया था। उन्हें ऐसा लगा कि कोई उन्हें ट्रेन की रफ्तार कम करने के लिए कह रहा है, लेकिन रफ्तार कम न करने के कारण दोनों ट्रेने आपस में टकरा गईं। उस हादसे के बाद से अब मंदिर के पास से गुजरने वाली हर ट्रेन धीमी रफ्तार में यहां से गुजरती है। हनुमान जी के भविष्य बताने के चलते यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर को बेहद सिद्ध और चमत्कारी माना जाता है।
उल्टे हनुमान
इंदौर शहर से करीब 30 किमी दूर सांवेर गांव में हनुमान जी की बेहद विलक्षण प्रतिमा स्थापित है। प्राय: देश के हर मंदिर में हनुमान जी की सीधी प्रतिमा स्थापित है, लेकिन सांवेर गांव में हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा स्थापित है। दुनिया भर में उल्टे हनुमान वाली ये इकलौती प्रतिमा है। मंदिर में बजरंगबली की इस दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
मंदिर में स्थापित हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में भगवान राम और रावण के युद्ध के दौरान अहिरावण ने रूप बदलकर राम जी की सेना में प्रवेश कर लिया था। रात के वक्त जब सभी लोग सो रहे थे। को अहिरावण राम और लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया पाताल लोक ले गया था। इस घटना के बारे में पता चलने के बाद हनुमान जी पाताल लोक में भगवान की खोज करने गए थे। कहा जाता है कि हनुमान जी ने सांवेर से ही पाताल लोक में प्रवेश किया था इसलिए यहां उनके पैर ऊपर और सिर धरती की ओर है। मंदिर में हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा की पूजा की जाती है।
छींद वाले हनुमान
रायसेन जिले की बरेली तहसील के ग्राम छींद में प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। यहां हनुमान जी छींद वाले हनुमान के नाम से जाना जाता है। करीब 200 साल पुराने मंदिर में हनुमान जी एक पीपल के पेड़ के नीचे विराजमान हैं। मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिण मुखी है। छींद वाले हनुमान जी को रोगों से बचाने वाले हनुमान भी कहा जाता है। मंदिर की प्रसिद्धि के चलते ही यहां प्रदेशभर से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। राजधानी भोपाल से मंदिर की दूरी 40 किमी है।
मंदिर में स्थापित प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता है। कहा जाता है कि गांव के एक किसान को खेत में हनुमान जी की प्रतिमा मिली थी, जिसे उसने उसी जगह एक छोटी सी मढ़िया बनवाकर स्थापित कर दिया था। आज मंदिर ने विशाल रूप ले लिया है, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हैं। हनुमान जयंती के अवसर पर यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।
जामसांवली हनुमान धाम
छिंदवाड़ा जिले के जामसांवली में हनुमान जी का एक बेहद चमत्कारी मंदिर मौजूद है। ये मंदिर बेहद खास हैं। यहां राम भक्त हनुमान की करीब 15 फीट की मूर्ति निद्रा अवस्था में विराजमान हैं। इस मंदिर को लेकर कई किस्से प्रचलित हैं। कहा जाता है कि जहां आज हनुमान जी की प्रतिमा शयन मुद्रा में हैं वहां खजाना छुपा है। उसी खजाने की रक्षा करने के लिए यहां सालों पहले हनुमान जी की प्रतिमा खड़ी अवस्था में विराजमान थी, लेकिन एक बार कुछ चोर इस जगह में चोरी करने आए। उस खजाने को बचाने के लिए हनुमान जी यहां पर लेट गए, तब से लेकर आज तक यहां हनुमान जी पीपल के एक पेड़ के नीचे विश्राम अवस्था में ही विराजमान हैं।
जामसांवली मंदिर की एक खास बात ये भी है कि यहां विराजमान हनुमान जी की मूर्ति की नाभि से जलधारा निकलती है। पानी कहां से आता है इसके स्त्रोत के बारे में किसी को नहीं पता। ये जलधारा अनवरत बहती रहती है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस जलधारा को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। लोगों का मानना है कि इस जल को पीने से चर्मरोगों से मुक्ति मिल जाती है।मंदिर का इतिहास 100 साल से भी पुराना बताया जाता है, हालांकि मंदिर की स्थापना किसने की थी इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। हनुमान जी की प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता हैं।
अर्जी वाले हनुमान
जबलपुर के ग्वारीघाट क्षेत्र में प्रसिद्ध रामलला मंदिर स्थापित हैं। इस मंदिर को अर्जी वाले हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। मंदिर में हनुमान जी की एक विलक्षण प्रतिमा स्थापिक है जिसके दर्शन केवल साल में एक दिन हनुमान जन्मोत्सव पर श्रद्धालुओं को करने मिलते हैं। इस प्रतिमा में हनुमान जी का बालरुप विद्यमान हैं। मंदिर में सालभर भक्तों को तांता लगा रहता है। कहते हैं जो भी भक्त मंदिर में सच्चे मन से अर्जी लगाता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। यही वजह है कि मंदिर में देश के साथ ही विदेशों से भी हनुमान भक्त इस मंदिर में अर्जी लगाते हैं। भक्तों की मनोकामनाओं को एक रजिस्टर में लिखकर हनुमान जी को सुनाया जाता है। इस मंदिर में ऑनलाइन अर्जी भी लगाई जाती है।
रामलला मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा बेहद छोटी है। इसका आकार केवल पांच अंगुल का है। प्रतिमा में भगवान का बालक स्वरूप है जो कि अन्य किसी प्रतिमा में देखने नहीं मिलता। मंदिर में हनुमान जी की एक अन्य प्रतिमा भी स्थापित है, जिसके दर्शन श्रद्धालु साल भर कर सकते हैं।