नई दिल्ली : उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता बिल (Uniform Civil Code) बुधवार को पारित हो चुका है। इसी के साथ सभी नागरिकों के लिए समान कानून लाने वाला पहला राज्य उत्तराखंड बन चुका है। सदन के पटल में मंगलवार को विधेयक पेश किया गया था। दो दिन तक इसपर चर्चा हुई। इस दौरान कॉंग्रेस और भाजपा के बीच बहस भी हुई। तीसरे दिन की कार्रवाई के बाद बिल को पास कर दिया गया है। विधानसभा में पारित होने के बाद बिल को राज्यपाल को भेजा जाएगा। जिसके पास राज़्यपाल बिल की मंजूरी के किए राष्ट्रपति से सिफारिश करेंगे।
मुख्यमंत्री धामी ने कही ये बात
बिल के पारित होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में कहा, “यूसीसी कानून सभी के लिए समानता का कानून है। ये कानून हम किसी के खिलाफ नहीं लाए हैं। ये कानून उन माताओं, बहनों और बेटियों के लिए है, जिन्हें जीवन में कई कुरीतियों के कारण यातनाओं का सामना करना पड़ता था। ये कानून बच्चों और मातृशक्ति के हित में है।
कानून लागू होने पर होंगे ये बदलाव
समान नागरिक संहिता महिला अधिकारों पर केंद्रित है। इसके तहत लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से अधिक होगी। बहु विवाह, इद्दत और हलाला पर रोक लगाने का प्रावधान भी है। लीव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। शादी के लिए भी रजिस्ट्रेशन रखने का प्रावधान भी बिल में रखा गया है।
कानून लागू होने के बाद बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया भी आसान होगी। मुस्लिम महिलाओं को बच्चा गोद लेने का समान अधिकार मिलेगा। लड़के-लड़कियों को विरासत में बराबर का अधिकार मिलेगा। विधेयक में पति-पत्नी के बीच विवाद होने पर बच्चे की कस्टडी दादा-दादी को देने का प्रस्ताव भी रखा गया है। पति की मृत्यु पर यदि पत्नी दोबारा शादी करती है तो मुआवजे पर माता-पिता का भी हक होगा। पत्नी की मृत्यु होने पर उसके माता-पिता की जिम्मेदारी पति को संभालनी होगी। राज्य के 4% जनजातियों को इस कानून से बाहर रखा गया है।