उज्जैन : “नर्म अल्फ़ाज़ भली बातें मोहज़्ज़ब लहजे, पहली बारिश ही में ये रंग उतर जाते हैं”..लेकिन अभी तो पहली बारिश भी नहीं हुई थी और सारी बातें सारे दावे धराशायी हो गए। एक ज़रा आंधी क्या चली..उज्जैन महाकाल लोक में सप्तऋषि की छह मूर्तियां खंडित हो गई। इसी के साथ सारे दावे भी हवा में उड़ गए और जितनी बड़ी बड़ी बातें कही गई थीं उनकी असलियत सामने आ गई। ज़ाहिर सी बात है..सियासी बवाल तो होना ही था।
7 महीने पहले करोड़ों के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। लेकिन हाल ही में आई आंधी के बाद जब मूर्तिभंजन हुआ तो कांग्रेस आक्रामक हो गई। इस बीच मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी के एक ट्वीट ने हलचल मचा दी है। उन्होने लिखा कि ‘ये लक्षण शुभ नहीं हैं…ईश्वर कभी क्षमा नहीं करेगा। इस देश के दुर्भाग्य का अंत नहीं। उदयपुर में हजार साल पुराना महल मलबे से निकलकर अपनी बुलंदी बता रहा है। और उज्जैन में ये अभी बने! कौन इनका निर्माता है, कौन अभियंता और कौन नियंता! बहुत दुखद दृश्य है! हे राम!’ विजय मनोहर तिवारी वरिष्ठ पत्रकार हैं और 2018 में बीजेपी सरकार ने उन्हें सूचना आयुक्त नियुक्त किया था। इस ट्वीट में उनकी गहन पीड़ा झलक रही है।
बीजेपी और कांग्रेस के नेता एक दूसरे से सहमत हों..ऐसा कम ही होता है। लेकिन सूचना आयुक्त की इसी पीड़ा को कांग्रेस ने न सिर्फ स्वीकारा बल्कि उनके ट्वीट को रिट्वीट भी किया है। कांग्रेस और कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने लिखा है कि ‘मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त की यह पीड़ा जायज़ है क्योंकि मंत्री ने तो बिना जाँच के ही क्लीन चिट दे दी है।’ जाहिर सी बात है..जब सरकार के सूचना आयुक्त कोई बात कहते हैं तो उसका गंभीर अर्थ होता है। और यहां तो उन्होने बैठे बिठाए कांग्रेस को एक मौका दे दिया है।