उज्जैन : 19 साल बाद विशेष संयोग, बाबा महाकाल की सावन भादो में 10 सवारी, नागपंचमी पर भी होगा नगर भ्रमण…

उज्जैन : महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन पहुंचने वाले श्रद्धालु भोलेनाथ की एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं। वहीं बात अगर सावन भादो मास में निकलने वाली सवारी की करी जाए तो ना सिर्फ उज्जैन बल्कि देश विदेश से आए श्रद्धालु भी पलक पांवड़े बिछा कर राजाधिराज का स्वागत करते हुए दिखाई देते हैं। सावन और भादो के महीने में निकलने वाली सवारी का दीदार करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं।

इस बार अभी से सवारी को लेकर तैयारियों का दौर शुरू हो चुका है और सवारी मार्ग के चौड़ीकरण के साथ ही रंगाई पुताई और सौंदर्यीकरण का प्लान तैयार कर लिया गया है। इन सब तैयारियों के बीच भक्तों के लिए इस बार सावन और भादो का महीना खास होने वाला है। हर बार जहां बाबा की पांच से 5 से 7 सवारियां निकलती हैं, तो इस बार यह संख्या 10 होने वाली है। सवारियों की संख्या 10 होने के चलते रजत पालकी में बैठकर राजाधिराज अपने भक्तों का हाल जानने के लिए कुल 10 बार नगर भ्रमण पर निकलेंगे और भक्त उनका भावविभोर होकर स्वागत करते नजर आएंगे।

ऐसा है बाबा महाकाल सवारी

इस साल 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने वाला है और एक एक कर भादो के हर सोमवार तक कुल 10 सवारियां नगर भ्रमण पर निकलने वाली है। इस साल सावन का अधिक मास है इसी वजह से सवारियों की संख्या बढ़ गई है। दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु इन दिनों में उज्जैन पहुंचेंगे और बाबा के दर्शन करेंगे।

19 साल बना है संयोग

साल 6 से 7 बार चांदी की पालकी में सवार होकर बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं लेकिन इस बार अधिक मास के विशेष संयोग के चलते ये संख्या बढ़ गई है। इससे 19 साल पहले भी श्रावण मास में इसी तरह का संयोग बना था और उस समय भी 10 सवारियां निकाली गई थी।

सवारियों की तिथि

जुलाई से सावन का महीना शुरू होने के बाद पहली सवारी 10 जुलाई, दूसरी सवारी 17 जुलाई, तीसरी सवारी 24 जुलाई, चौथी सवारी 31 जुलाई, पांचवी सवारी 7 अगस्त, छठी सवारी 14 अगस्त, सातवीं सवारी 21 अगस्त, आठवीं सवारी 28 अगस्त, नौवीं सवारी 4 सितंबर और 10वीं और अंतिम शाही सवारी 11 सितंबर को निकाली जाएगी।

नागपंचमी पर भी सवारी

वर्ष में एक बार महाकालेश्वर के ऊपरी छोर पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के पट खुलते हैं, जिनके दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकाल मंदिर पहुंचते हैं। लेकिन इस बार अधिक मास के संयोग के कारण नाग पंचमी के दिन भी बाबा महाकाल की सवारी निकलेगी।

महाकाल लोक के निर्माण के बाद प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ही एक से डेढ़ लाख हो चुकी है। ऐसे में इस साल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। 21 अगस्त को नागपंचमी के विशेष संयोग में बना भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे।

सिंधिया काल से चल रही परंपरा

सिंधिया राजघराने की ओर से बाबा महाकाल की सवारी निकाले जाने की इस परंपरा को शुरू किया गया था। महाराज खुद इसमें शामिल हुआ करते थे और उसके बाद राजमाता भी इसका हिस्सा थी और आज भी शहर के बड़े और नामचीन व्यवसायी राजा महाराजाओं के भेस में सवारी में शामिल होते हुए नजर आते हैं।

पहले सिंधिया राजघराने की महाराष्ट्रीयन पंचांग के मुताबिक दो या तीन सवारी की निकाली जाती थी लेकिन फिर ज्योतिर्विदों ने विद्वानों और अधिकारियों के साथ बैठक कर सावन के आरंभ से सवारी निकालने पर विचार विमर्श किया गया। इसके बाद से बनाया गया ये क्रम लगातार जारी है।

उज्जैन के राजा हैं महाकाल

उज्जैन धार्मिक नगरी होने के साथ सम्राट विक्रमादित्य के साम्राज्य की राजधानी के रूप में भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। प्राचीनकाल में से अवंतिका के नाम से पहचाना जाता था और कहीं ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यह कहा जाता है कि भगवान शिव आज भी राजाधिराज महाकाल के रूप में साक्षात विराजमान है। यही वजह है कि एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

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