उज्जैन। धर्मनगरी उज्जैन इन दिनों आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर को अभी नया रूप दिया गया है। ऐसे में अब रामघाट के विकास और सुंदरीकरण कार्य से की जा रही है। इसलिए उज्जैन में 10 महीनों में राणोजी की छत्री के साथ घाट पर बने 80 मंदिरों को पुरातन स्वरूप को भी नया रूप दिया जाएगा। ऐसे में करीब 20 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। जिसके बाद ये दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।
उज्जैन के घाटों को अच्छे से सजाया जाएगा जिससे उज्जैन आने वाले लोग भी रात के वक्त भी घाट पर मजा ले सकेंगे। जानकारी के मुताबिक, महाकुंभ सिंहस्थ को देखते हुए भी सभी तैयारियां की जा रही है। ऐसे में 2028 से पहले सभी घाटों को सजाने का कार्य किया जाएगा। इसके लिए पिछले महीने उज्जैन में प्रदेश सरकार द्वारा केबिनेट बैठक की गई थी जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिप्रा नदी के किनारे को सजाया जाएगा और पूरा विकास कार्य कर लिया जाएगा। इसकी घोषणा उस ही दिन की गई थी। उस वक्त ये कहा गया था कि नर्मदा नदी का जल सदैव शिप्रा में आएगा।
ऐसे में कारखानों का दूषित जल डायवर्ट कर दिया जाएगा। ऐसे में अब ये जो घोषणा की गई थी उस पर कार्य करने के लिए अब प्रशासन तैयारियों में जुट गई है। बताया जा रहा है कि स्थानीय प्रशासन ने डीपीआर बनवाने की तैयारियां शुरू कर दी है। बता दे, स्मार्ट सिटी कंपनी ने महाकाल महालोक योजना के दूसरे चरण के कार्य के चलते रामघाट पर काम शुरू कर दिया है। ऐसे में छोटे रुद्रसागर को भी उतना ही खूबसूरत बनाया जाएगा जितना बड़े रुद्रसागर को बनाया गया है। दरअसल, शिप्रा नदी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र पहले से ही है। ऐसे में उसकी सजावट होने के बाद ये और ज्यादा आकर्षित हो जाएगा।