भोपाल : पहले पार्टी टिकट देती थी जीतने वाले उम्मीदवार को। लेकिन राजनीति के बदलते रुख़ के बाद अब लगने लगा है कि राजनीतिक दलों को ‘टिकने वाले’ उम्मीदवार तलाशने होंगे। ऐसे लोग जो आख़िरी समय पर नाम वापस न ले लें। अपने विरोधी दल में शामिल न हो जाएँ या उनकी उम्मीदवारी निरस्त न हो जाए। इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नाम वापसी के बाद पार्टी को बड़ा झटका लगा है। वहीं अब उनके अपने नेता कांग्रेस पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप भी लगा रहे हैं।
इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी के नाम वापस लेने से पार्टी को बड़ा झटका
बीजेपी और कांग्रेस तो एक दूसरे पर इलज़ाम लगाते रहते हैं। लेकिन कई बार ख़ुद अपने ही नेता अपनी ही पार्टी पर आरोप जड़ते भी नज़र आते हैं। बीजेपी की बात करें तो अक्सर वहाँ उनके निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ताओं की शिकायत रहती है कि दलबदल कर आए नेताओं को ज़्यादा तवज्जो मिल रही है। वहीं कांग्रेस में पैसे लेकर टिकट देने की शिकायत काफ़ी पुरानी है। कई बार अलग अलग चुनावों में इस तरह के आरोप ख़ुद उनके ही नेता-कार्यकर्ता लगाते रहे हैं। अब इंदौर की घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जहां इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव फ़ोन पर काफ़ी नाराज़गी भरे लहज़े में किसी से बात कर रहे हैं और कह रहे हैं कि कांग्रेस पैसे वालों को ही टिकट देती है।
इंदौर कांग्रेस कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव का बड़ा आरोप ‘पैसे लेकर टिकट देती है कांग्रेस’
देवेंद्र सिंह यादव इस वीडियो में किसी से फ़ोन पर बात कर रहे हैं। वो क़हते नज़र आ रहे हैं कि “कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं का शोषण कर रही है। मैं शुरु से बोल रहा था कि ये नाम वापस ले लेगा। मैंने ताक़त से टिकट माँगा था और कहा था इससे अच्छा चुनाव लड़ूँगा। मगर पैसे को देखते हुए हमारे कांग्रेस के नेताओं ने टिकट दिया। क्यों दिया उसका ? क्या योगयान था उसका कांग्रेस के लिए ? उसने कांग्रेस के लिए क्या संघर्ष किया जो आपने उठाकर उसे टिकट दे दिया। ये पार्टी हाईकमान को देखना चाहिए। हमारे जैसे कार्यकर्ताओं को मार रही है कांग्रेस। हमने दमदारी से टिकट माँगा, कहा हम लड़ेंगे चुनाव, आज भी हम यहाँ दमदारी से खड़े है और वो निकल गया। पार्टी की गलती है..पार्टी क्यों देती है टिकट पैसे देखकर। पद टिकट से दो..टिकट पैसे से दो। पैसा देखकर टिकट देते हो। काम का आधार नहीं बनाते हो। सोचना चाहिए था। मैंने कहा मैं ताक़त से चुनाव लड़ूँगा। आम कार्यकर्ता मेरे लिए काम करेगा। क्यों देते हो आप पैसेवालों को टिकट..उनपरक क्यों विश्वास करते हो। ज़मीनी कार्यकर्ताओं पर विश्वास नहीं कर रहे जो सालों से संघर्ष कर रहे हैं।” इस तरह वो फ़ोन पर बेहद नाराज़गी में किसी से बात करते नज़र आ रहे हैं। बहरहाल..इस घटना के बाद अब इंदौर सीट तो कांग्रेस के हाथ से निकल ही गई है, वहीं उसे अपने पुराने नेताओं की नाराज़गी का सामना भी करना पड़ रहा है।