भोपाल। प्रदेश में खाद आपूर्ति में गड़बड़ी को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद आखिरकार एफआईआर दर्ज तो हो गई लेकिन इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल दिसंबर माह में ही जिन लोगों ने इस बार गड़बड़ी की है, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कमिश्नर जबलपुर ने कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भोपाल भेजा था लेकिन कार्रवाई ना होने के चलते एक बार फिर यूरिया घोटाले को अंजाम दिया गया।
मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ ने 25 अगस्त को क्षेत्रीय प्रबंधक कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड यानी कि कृभको को रैक के जरिए 2647 यूरिया आपूर्ति के लिए पत्र लिखा था। इस पत्र में लिखा था कि 70% यूरिया विपणन संघ और 30% निजी क्षेत्र को दिया जाना है। यूरिया जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, सिवनी व दमोह जिलो में जाना था
इनमें से 1020 टन यूरिया रास्ते में गायब हो गया। मध्य प्रदेश के अपर मुख्य सचिव किसान एवं कल्याण व कृषि विभाग को जबलपुर कमिश्नर द्वारा 8 अगस्त को लिखा गया पत्र मौजूद है जिसमें कृभको श्याम उर्वरक कंपनी जबलपुर द्वारा शासन द्वारा उर्वरक वितरण संबंधी निर्देशों की अवहेलना के बारे में उल्लेख है।
इस पत्र में साफ लिखा है कि 10 दिसंबर 2021 को प्रभु कृभको श्याम उर्वरक कंपनी जबलपुर के खिलाफ ऐसी ही गड़बड़ी करने के लिए कार्यवाही दिसंबर 2021 मे प्रस्तावित की गई थी। लेकिन कार्यवाही नहीं किए जाने से संबंधित द्वारा इसकी पुनरावृति की गई है। अभी भी कृभको श्याम फर्टिलाइजर्स कंपनी जबलपुर द्वारा प्रदायक कार्यक्रम अनुसार जिलों को यूरिया नहीं दिया गया है और कंपनी के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाए।
यह जानकारी जब मुख्यमंत्री के पास पहुंची तब उन्होंने आनन-फानन में शुक्रवार को अपने निवास पर बैठक बुलाई और कार्यवाही के निर्देश दिए तब जाकर कार्यवाही हो पाई। इससे यह स्पष्ट है कि 10 दिसंबर 2021 को कमिश्नर जबलपुर द्वारा जो पत्र भोपाल भेजा गया था यदि उस पर कार्रवाई हो जाती तो इस गड़बड़ी की पुनरावृत्ति नहीं होती ।