राज कपूर जिनको भारतीय सिनेमा का ‘शोमैन’ कहा जाता है। हिंदी सिनेमा के एक जाने माने अभिनेता, निर्माता और निर्देशक थे। मगर बॉलीवुड ने ये सितारा महज ६३ साल उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। भले ही उनकी मौत अस्थमा की बीमारी के चलते हुई थी, मगर कहीं न कहीं इनकी मौत के पीछे सरकार को भी जिम्मेदार माना जाता है।
हिंदी सिनेमा के इस शोमैन का निधन जिन हालातों में हुआ उससे ये कहा जा सकता है कि उनकी मौत समय से पहले हुई। अगर ये कहा जाय कि केंद्र सरकार के प्रोटोकॉल के चलते कपूर साहब का निधन हुआ तो ये गलत नहीं होगा।
हिंदी सिनेमा को बहुत सी नायाब फ़िल्में देने वाले राज कपूर अपने आखिरी समय में अस्थमा की बीमारी से पीड़ित थे। जिस समय वो अपनी आखिरी फिल्म ‘हीना’ की शूटिंग में व्यस्त थे, उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से ‘दादासाहेब फाल्के अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
इस अवार्ड को लेने के लिए राज साहब खुद अपने परिवार को लेकर दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली आने के बाद उनकी अस्थमा की बीमारी ने ज्यादा जोर पकड़ लिया था और इसी वजह से राज कपूर अपना ऑक्सीजन सिलेंडर साथ में रखा करते थे।
अवार्ड लेने गए राज कपूर को राष्ट्रपति भवन में सुरक्षा के कारणों के चलते अपना ऑक्सीजन सिलेंडर को बाहर ही छोड़ना पड़ा था। ऐसा कहा जा सकता है कि राज कपूर ने अपना सिलेंडर ही नहीं बल्कि अपनी जीवन की डोर भी बाहर ही छोड़ दी थी।
‘दादासाहेब फाल्के अवार्ड’ का समारोह शुरू हुआ और राज साहब दर्शकों के बीच बैठे थे। उन्हें काफी समय से असहज महसूस हो रहा था। राष्ट्रपति के आर नारायण के भाषण के बीच राज कपूर को अस्थमा का दौरा पड़ा। ऐसे में राष्ट्रपति अपना भाषण छोड़ स्टेज से नीचे उतरे और राज कपूर को दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
राज कपूर को तुरंत दिल्ली के ‘एम्स हॉस्पिटल’ में भर्ती किया गया, मगर कुछ दिनों तक हॉस्पिटल में इलाज के बावजूद इन्हें बचाया नहीं जा सका और आखिरकार २ जून १९८८ के दिन बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
अगर अवार्ड समारोह के दौरान राज कपूर को अपना ऑक्सीजन सिलेंडर अपने साथ रखने की इजाजत मिली होती तो शायद राज कपूर साहब बच जाते। मगर ये हो ना सका |