भारत विविधताओं का देश है और भारत की इस विविधता में चार चाँद लगता है रंगों का त्योहार होली। होली पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है लेकिन इसको मनाने का तरीका कई जगहों पर इतना अलग है कि आप दांतों तले उँगली दबा लेने को मजबूर हो जाएंगे। आज हम आपको इस लेख में भारत के विभिन्न जगहों पर निराले अंदाज से मनाये जाने वाले होली के बारे में बताएँगे।
अंगार फेंकने की परंपरा
इस लिस्ट में सबसे पहला नंबर आता है कर्नाटक का। कर्नाटक के कुछ इलाकों में होली ऐसे मनाई जाती है कि आपको यहाँ होली खेलने के लिए शायद कम्बल और बालू का जुगाड़ करना पड़ जाए। अरे! हम मजाक नहीं कर रहे हैं। कर्नाटक के कुछ इलाकों में एक दूसरे पर अंगार फेंक कर होली मनाये जाने की परंपरा है। अब परंपरा है तो जाहिर है कि ऐसा करने के पीछे कोई न कोई मान्यता भी होगी। मान्यता है, मान्यता यह कि एक दूसरे पर अंगार फेंकने से लोगों के बीच मौजूद होलिका जल कर मर जाती है।
राख पर चलने की परंपरा
राजस्थान के बांसवाड़ा में रहने वाली एक जनजाति में होली के दिन होलिका दहन के बाद बचे हुए राख पर चलने की परंपरा है। अब अगर आपको यह परंपरा आसान लग रही है तो आपको बता दें कि इस राख के नीचे जलते हुए अंगार भी रहते हैं। अगर यह भी आसान लग रहा है तो आगे जानिए। यहाँ इस परंपरा के बाद पत्थरबाजी का रिवाज है। इस रिवाज में लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। ख़ास बात यह कि इस रिवाज़ के दौरान खून का निकलना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि अगर इस परंपरा के दौरान आपका खून निकलता है तो आपका आने वाला समय बेहद अच्छा रहने वाला है।
होली ना मनाने की परंपरा
हरियाणा के कैथल जिले में बेस दूसरपुर गाँव की। कहते हैं कि कभी यहां एक संत हुआ करते थे जो इस गाँव के एक व्यक्ति से इतने रुष्ट हो गए कि उन्होंने होलिका में कूद कर जान दे दी थी। जान देने से पहले उन्होंने इस गाँव को श्राप दिया कि अगर इस गाँव में किसी ने होली मनाई तो उसे बेहद बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। बस उस दिन के बाद से इस गांव के लोगों ने संत के इस श्राप की वजह से फिर कभी होली नहीं मनाई।
दामाद को गधे पर बैठाने की परंपरा
महाराष्ट्र के बीड जिले में होली के दिन दामाद को गधे पर बिठाकर घुमाया जाता है। पहले दामाद को जमकर रंग लगाया जाता है और फिर उसके बाद उसे सब मिलकर गधे पर बिठाते हैं और फिर पूरे गांव में घुमाते हैं। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि लोग ऐसा क्यों करते हैं? तो आपको बता दें कि इसके पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। लोगों की मानें तो करीब 80 साल पहले जिले के येवता गांव में रहने वाले देशमुख परिवार के दामाद ने होली पर रंग लगवाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद लोगों ने फैसला किया कि उनके साथ होली तो जरूर खेलेंगे लेकिन अलग तरीके से। शख्स के ससुर ने एक गधा बुलाया और फिर उसे सजाकर पूरे गांव में घुमाया। इसके बाद से ये परंपरा शुरू हो गई। दामाद को होली पर रंग लगवाने के लिए इस रस्म को पूरा किया जाता है।