राजस्थान के सियासी संकट पर सोनिया गांधी के घर क्या बात हुई? बैठक के बाद माकन ने बताया…

नई दिल्ली: कांग्रेस एक तरफ राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाने में जुटी है वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर ही टूट की कोशिश हो रही है। रविवार शाम राजस्थान की राजधानी जयपुर में जो हुआ उसने एक चीज साफ कर दी कि लोग भले सचिन पायलट को प्रदेश का अगला सीएम देखना चाहते हों लेकिन, खुद सीएम अशोक गहलोत और उनके गुट के 80 से ज्यादा विधायक तो यह बिल्कुल नहीं चाहते। गहलोत गुट के विधायकों के इस्तीफे की धमकी वाला संदेश भी दिल्ली पहुंच गया है। रविवार शाम फिर रात और अब तक राजस्थान की राजनीति में आई अस्थिरता समाप्त नहीं हुई है। दिल्ली में राजस्थान में मचे उथल-पुथल पर बैठकों का दौर जारी है। खबर यह है कि आज मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ को फौरन दिल्ली बुलाकर सबकुछ ठीक करने की कोशिश की जाएगी। कमलनाथ सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। वहीं कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे भी सोनिया गांधी से मुलाकात करने सोनिया के आवास पर पहुंचे।

बैठक के बाद क्या बोले माकन
राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने बताया कि सोनिया गांधी से मुलाकात पर कांग्रेस अध्यक्ष को मल्लिकार्जुन खड़गे जी और मैंने बहुत विस्तार से राजस्थान के अंदर जो विधायक दल की बैठक करने हम लोग गए थे, उसकी चर्चा की और पूरी बात बताई। उन्होंने हमसे एक लिखित रिपोर्ट पूरे घटनाक्रम पर मांगी। हम आज रात या कल सुबह तक वह रिपोर्ट दे देंगे। आज सुबह भी मैंने बताया था कि जो कांग्रेस विधायक दल की बैठक कल शाम 7 बजे रखी गई थी, मुख्यमंत्री के कहने पर समय और स्थान तय किए गए थे और कांग्रेस अध्यक्ष का स्पष्ट निर्देश था कि हर विधायक की अलग-अलग राय जानकर रिपोर्ट देनी है। ऐसे में फैसला वापस आकर होता। हमारे पास कुछ विधायकों के नुमाइंदे आए और तीन शर्तें रखी गईं। उसमें एक शर्त था कि जो भी निर्णय होगा वह फैसला 19 अक्टूबर के बाद होना चाहिए। हमारा यह कहना था कि यह कैसे संभव है। यह हितों का टकराव होगा। उन्होंने कहा कि हर विधायक से आप अलग-अलग मत मिलिए।

जयपुर में क्या हुआ था
जयपुर में जब अजय माकन ने गहलोत गुट के विधायकों से बातचीत की तो उन्होंने माकन के आगे तीन शर्त रख दीं। विधायकों ने पहली शर्त यह रखी कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का प्रस्ताव आप बेशक पेश कर सकते हैं लेकिन उसका फैसला 19 अक्टूबर को होना चाहिए। ऐसे में हमने कहा कि अगर अशोक गहलोत खुद कह चुके हैं कि वह कांग्रेस अध्यक्ष के उम्मीदवार हैं। अभी वह राजस्थान में मुख्यमंत्री पद पर अध्यक्ष को फैसला लेने का प्रस्ताव होगा तो अगर गहलोत अध्यक्ष बनते हैं तो वह अपने ही प्रस्ताव पर खुद ही बतौर अध्यक्ष फैसला लेंगे। इसलिए हितों में टकराव के चलते आप ऐसा मत करिए। इस केस में आप सार्वजनिक तौर पर कहिए कि प्रस्ताव भले आज पेश होगा लेकिन लागू 19 अक्टूबर के बाद होगा। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी से मिलकर इसी बात को सामने रखेंगे। राजस्थान के प्रभारी अजय माकन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि जब विधायक दल की कोई आधिकारिक बैठक बुलाई गई हो और यदि कोई उसी के समानांतर एक अनाधिकारिक बैठक बुलाए, तो यह प्रथमदृष्टया अनुशासनहीनता है। माकन ने कहा, ‘आगे देखेंगे कि इस पर क्या कार्रवाई होती है।’

गांधी परिवार के मन में क्या चल रहा है
अशोक गहलोत अपनी जगह सीपी जोशी को चाहते हैं। वह सचिन पायलट को किसी भी हालत में सीएमन पद के रूप में नहीं देखना चाहते हैं। यह 2018 से चला आ रहा है। तब भी गांधी परिवार सचिन पायलट को सीएम बनाना चाहता था लेकिन गहलोत के हठ के आगे उनकी भी नहीं चली। राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कांग्रेस सचिन पायलट को गहलोत की जगह सीएम पद देना चाहती थी लेकिन उनके गुट के विधायकों की बगावत ने राह मुश्किल कर दी। कांग्रेस भी गहलोत को नाराज नहीं करना चाहती क्योंकि बड़ी मुश्किल से वह कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हामी भरी है। दिल्ली के 10 जनपथ में राजस्थान में आए सियासी संकट पर हलचल तेज है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की मुलाकात सोनिया गांधी से जारी है। जल्द ही कुछ हल निकलने की उम्मीद है।

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