नई दिल्ली: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार कहा कि ऐसा क्या हुआ कि रातोंरात दोषियों को छोड़ने का फैसला हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर दोषियों को प्रतिवादी बनाने को कहा और राज्य और अन्य को नोटिस जारी किया है।
बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बिलकस बानो के गुनहगारों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया था। इस याचिका को सीपीएम नेता सुभाषिनी अली, लेखिका रेवती लाल और मानवाधिकार कार्यकर्ता रूप रेखा वर्मा ने दाखिल किया था।
याचिकाकर्ताओं का कहना है इस पूरे मामले की जांच सीबीआई ने की थी इसलिए गुजरात सरकार दोषियों को सजा में छूट का एकतरफा फैसला नहीं कर सकती। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 435 के तहत राज्य सरकार के लिए इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से सलाह लेना अनिवार्य है।
2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने 13 में से 11 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। सभी 11 दोषी अब रिहा हो चुके हैं क्योंकि गुजरात सरकार ने कैद के दौरान उनके अच्छे चाल-चलन के आधार पर ये फैसला लिया। दोषी बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के मामले में 15 साल से जेल में थे।