2013 में पता चला कि व्यापमं के जरिए आयोजित होने वाली प्रदेश स्तर की मेडिकल प्रवेश परीक्षा में धांधली हुई है। अभ्यर्थियों ने मेडिकल दाखिले में पास होने के लिए घूस दी। परीक्षा में पास कराने का खेल चला और असली परीक्षार्थियों के स्थान पर दूसरों ने परीक्षा में हिस्सा लिया था।
यूँ तो व्यापमं द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में धांधली का मामला पहले से उठता रहा लेकिन वर्ष 2008 से 2013 के बीच इसमें धांधली अपने चरम पर पहुँची और जनता को अपनी ओर आकर्षित करने लगी. वर्ष 2009 में इंदौर के रहने वाले चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद राय ने व्यापमं में धांधली का रहस्योद्घाटन किया. उन्होंने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में इन घांधलियों का ज़िक्र करते हुए एक जनहित याचिका दायर की.
व्यापमं घोटाले से जुड़े लोग आखिर क्यों कर रहे आत्महत्या
व्यापमं घोटाले से संलिप्तता उजागर होने, नौकरी छूट जाने, करियर बर्बाद हो जाने के डर से गलत तरीक़े से व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं को पास करने वाले लोगों के आत्महत्या की ख़बरें आ रही है.
जांच की रफ्तार कछुए से भी धीमी
व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच कछुआ गति से चल रही है. रसूखदार आरोपी एक के बाद एक छूटते जा रहे हैं. बावजूद इसके जांच अधिकारियों की संख्या घटाई जा रही है. आरोप है कि सब केंद्र और राज्य सरकार के इशारे पर हो रहा है.
जाँच पर खड़े हुए सवाल
सीबीआई ने अपने चालान में एसटीएफ़ की एफ़आईआर पर सवाल खड़ा करते हुए उसके ‘त्रुटिपूर्ण’ होने की तरफ़ भी इशारा किया है। सीबीआई के चालान के बाद एसटीएफ़ और उसकी जाँच से जुड़े बिन्दुओं पर न केवल सवाल खड़े हो गए हैं, बल्कि जानकार कह रहे हैं – ‘यदि एफ़आईआर त्रुटिपूर्ण है तो एसटीएफ़ के अधिकारियों को सीबीआई ने आरोपी बनाए जाने की पहल क्यों नहीं की है’