बॉलीवुड की दुनिया में रेखा और अमिताभ बच्चन को लेकर और उनकी प्रेम कहानियों के बारे में आपने कई बात सुनी होगी, मगर आज हम आपको जिस किस्से के बारे में बताने जा रहे है उसके बारे में बहुत कम लोग जानते है।
सदी के महनायक अमिताभ बच्चन आज जिस मुकाम पर है उसे हासिल करने के लिए उन्होंने अपनी जान की बाजी तक लगा दी थी। हम बात कर रहे है २६ जुलाई १९८२ की जब बैंगलोर यूनिवर्सिटी कैंपस में फिल्म कुली की शूटिंग चल रही थी। उस समय किसी को ये नहीं पता था कि अमिताभ इस शूटिंग के दौरान मौत के कगार पर खड़े हो जाएंगे।
फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान अमिताभ को फिल्म में विलेन का किरदार निभा रहे पुनीत इस्सर की पिटाई करनी थी। पुनीत इस्सर मार्शल आर्ट्स में चौथी डिग्री का ब्लैक बेल्ट रह चुके थे। इस फाइट सीन के लिए अमिताभ करीब ७ बार रिहर्सल भी कर चुके थे।
इन दोनों के बीच चल फाइट सीन में अमिताभ बच्चन को असलियत में पुनीत इस्सर का एक जोरदार घुसा पेट के नीचले हिस्से पर गलती से लग गया और दूसरे सीन में अमिताभ एक टेबल से टकराकर जमीन पर गिरे थे जिसमें टेबल का का कोना भी उन्हें असलियत में लग गया था। ये चोट इतनी गंभीर थी कि उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
ये खबर सुर्ख़ियों में आने के बाद मानों पूरा देश सदमे में आ गया और सभी अमिताभ बच्चन की सलामती के लिए दुआ मांगने लग गए थे। अमिताभ को उस समय बैंगलोर से मुंबई के ‘ब्रीच कैंडी’ अस्पताल में लाया गया था जहां अमिताभ के मुताबिक वो लगभग कोमा जैसी हालत में थे और कुछ पल के लिए ऐसा लग रहा था कि वो मौत के कगार पर खड़े है।
जहां एक तरफ जया बच्चन सभी जगहों पर प्रार्थना करने से नहीं चूक रही थी, वहीँ तत्कालीन मुख्यमंत्री इंदिरा गांधी भी उन्हें देखने के लिए अस्पताल पहुंच गयी थी। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी के बेटे और अमिताभ के मित्र राजीव गाँधी ने इस खबर को सुनने के बाद अपना अमेरिका जाने का प्लान भी रद्द कर दिया था और अमिताभ की खबर लेने आ गए थे।
बॉलीवुड की तमाम मशहूर हस्तियों को अमिताभ से मिलने दिया जा रहा था, मगर जया बच्चन ने रेखा को अमिताभ से मिलने पर पाबंदी लगा रखी थी। ऐसे में मिलने की कई कोशिशों के बाद एक दिन रेखा सूरज उगने के पहले उठी और एक सफ़ेद साड़ी पहनकर अस्पताल पहुंच गयी। जैसे तैसे करके वह अमिताभ से मिली पाई और वहां से लौटते ही रेखा ने उनके लिए पूजा पाठ और मंदिरों में जाना शुरू कर दिया। उन्होंने उज्जैन के महाकालेश्वर की पूजा की, तिरुपति में गयी और नंगे पाँव कई पहाड़ियों पर चढ़ी।