निराश लौटाए गए खड़गे का राजस्थान पर क्या होगा रुख? नए कांग्रेस चीफ में पायलट को दिखा ‘शुभ संकेत’…

नई दिल्ली : मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में बड़े अंतर से जीत हासिल की है। अचानक चुनावी दौड़ में शामिल हुए खड़गे ने उम्मीद के मुताबिक शशि थरूर को हराया। खड़गे के चुनाव जीतने के बाद एक बार फिर राजस्थान में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। सवाल किया जा रहा है कि हाल ही में पर्यवेक्षक के रूप में राजस्थान से निराश करके लौटाए गए खड़गे का रुख क्या होगा? क्या वह अशोक गहलोत को लेकर कड़ा रुख अख्तियार करेंगे या फिर यथास्थिति बरकरार रखेंगे? इस बीच ‘सीएम इन वेटिंग’ सचिन पायलट ने खड़गे को बधाई देते हुए उनकी तारीफ की है। पायलट ने इसे ‘शुभ संकेत’ बताया है। 

सचिन पायलट ने नई दिल्ली में खड़गे से मुलाकात के बाद मीडियाकर्मियों से कहा कि इस चुनाव से कांग्रेस और मजबूत होगी। खड़गे की जीत पर पायलट ने कहा, ”लोकतंत्र में इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता है जब आतंरिक लोकतंत्र को बढ़ाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने व्यापक चुनाव कराया। यह लोकतंत्र की जीत है, यह देशवासियों और कांग्रेस पार्टी की जीत है। मैंने खड़गे साहब को बधाई दी है। एक बहुत जिम्मेदारी और चुनौती उन पर आई है। देश के सभी कांग्रेसजन एकजुटता के साथ… कांग्रेस के अंदर और ताकत आई है। सब मिलकर उनके नेतृत्व में काम करेंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि खड़गे साहब की अनुभव का लाभ पूरी पार्टी को मिलेगा। हम सभी चुनौतियों का सामना करेंगे।” 

राजस्थान को लेकर पूछे गए सवालों को टालते हुए पायलट ने कहा, ”सारी बातें सबने सुनी हैं लेकिन मिस्त्री जी ने निष्पक्ष चुनाव कराया है। 9 हजार चुने लोगों ने अध्यक्ष चुना है। यह किसी दल ने आज तक नहीं किया है। निष्पक्ष तरीके से लोगों ने वोट दिया. खड़गे जमीनी नेता हैं और दलित समुदाय से आते हैं। पूरे कर्नाटक और पूरे देश में लोग उनकी राजनीति जानते हैं। हम सब के लिए शुभ संकेत हैं। आज विरोधी दल में घबराहट महसूस हो रही होगी।”

राजस्थान ही बना टर्निंग पॉइंट
मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने में राजस्थान ही सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट बना। खड़गे से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के सर्वोच्च पद के लिए सबसे बड़े दावेदार थे। सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की अटकलों के बीच विधायक दल की बैठक बुलाई गई तो गहलोत गुट ने इस्तीफे का दांव खेल दिया। पर्यवेक्षक बनाकर भेजे गए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को निराश होकर अगले दिन लौटना पड़ा। जयपुर में हुए हंगामे के बाद सीन पूरी तरह बदल गया। गहलोत रेस से बाहर हो गए तो खड़गे कांग्रेस चीफ बन गए हैं। ऐसे में उनका रुख राजस्थान और अशोक गहलोत को लेकर क्या होगा, इस पर सियासी पंडितों की निगाहें टिकी हैं।

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