महाराष्ट्र में क्या उद्धव सरकार की कुर्सी हिल रही है? क्या फिर से महाराष्ट्र में सियासी समीकरण बदलेंगे? आज सुबह से विधान परिषद चुनाव के नतीजों में भाजपा के पांचवीं सीट जीतने की वजह ढूंढी जा रही थी कि अचानक कई नए सवाल उभर आए। शिवसेना के कुछ विधायकों के सूरत उड़ने की खबर आई। इससे पहले कहा गया था कि शिवसेना के कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है और इससे नाराज उद्धव ठाकरे ने आपात बैठक बुलाई है। इधर, विधायकों ने पार्टी हाईकमान के लिए आपात स्थिति ही खड़ी कर दी। जी हां, राज्यसभा चुनाव के बाद विधान परिषद चुनाव में ऐसा ‘खेला’ हुआ कि महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया। सोमवार रात आए विधान परिषद की 10 सीटों के चुनाव नतीजों में भाजपा को 5, एनसीपी और शिवसेना को 2-2 सीटों पर जीत मिली। एक सीट कांग्रेस के पास गई। देवेंद्र फडणवीस के बयानों से साफ संकेत मिला कि भाजपा को शिवसेना या गठबंधन के विधायकों की क्रॉस वोटिंग का फायदा मिला है। ऐसे अनिश्चित समय में आपके दिमाग में कुछ सवाल तैर रहे होंगे। आइए ऐसे पांच सवालों के जवाब ढूंढते हैं।
सवाल नंबर 1- विधान परिषद चुनाव के नतीजे आते ही महाराष्ट्र में क्या हुआ?
दरअसल, महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया कि MVA यानी महाविकास अघाड़ी की सरकार में असंतोष पैदा हो गया है। अगर ऐसा न होता तो 4 सीटें जीत सकने वाली भाजपा को पांचवीं सीट नहीं मिलती। क्रॉस वोटिंग और निर्दलीयों का भाजपा को सपोर्ट मिला है। समझा जा रहा है कि क्रॉस वोटिंग करने वाले शिवसेना विधायकों को इस बात का अंदेशा रहा होगा कि सुबह उद्धव के सामने उनकी पेशी हो सकती है। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती थी। ऐसे में, शायद बीजेपी की रणनीति के तहत पहले से ही उद्धव सरकार के खिलाफ चक्रव्यूह तैयार कर लिया गया था। अब शिवसेना नेता और सरकार के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे कुछ विधायकों के साथ सूरत पहुंच गए हैं। वह अगले कुछ घंटों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखने वाले हैं।
सवाल नंबर 2- क्या गिर जाएगी उद्धव ठाकरे सरकार?
अभी यह कहना जल्दबाजी होगी लेकिन नंबरगेम के हिसाब से अनुमान जरूर लगाया जा सकता है। दरअसल, ऐसा दावा किया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे के सपोर्ट में 20 विधायक है। ये पश्चिमी महाराष्ट्र, विदर्भ, मराठवाड़ा के हैं। शिंदे ने ऐसा क्यों किया? इसकी वजह में पता चल रहा है कि वह ठाकरे परिवार से नाराज चल रहे हैं। इस समय वह नेटवर्क क्षेत्र से बाहर हैं। कोई भी उनसे संपर्क नहीं कर पा रहा है।सरकार का गणित समझें तो बीजेपी के पास सबसे ज्यादा 106 विधायक हैं। लेकिन शिवसेना (55) ने एनसीपी (52) और कांग्रेस (44) के समर्थन से सरकार बनाई। राज्य की विधानसभा में 288 सीटें हैं। शिवसेना के एक विधायक का निधन हो चुका है। सरकार बनाने के लिए जादुई नंबर 145 का है। अगर 20 विधायक शिवसेना से टूटकर भाजपा को सपोर्ट करते हैं और कुछ निर्दलीय साथ खड़े होते हैं तो महाराष्ट्र में बाजी पलट सकती है।
सवाल नंबर 3- कितने और कौन-कौन से विधायक सूरत गए?
सूरत आए महाराष्ट्र के विधायकों की बात करें तो कुल 17 विधायकों के नाम सामने आने लगे हैं। इनमें से कुछ हैं:
1- भारत बोघवले
2- प्रताप सरनाकी
3- बालाजी किनिकर
4- भारत गोगावले (महाड)
5- प्रताप सरनाइक (ओवला-माजीवाड़ा)
6- बालाजी किनिकर (अंबरनाथ)
7- संजय गायकवाड़ (बुलढाणा)
8- ज्ञानराज चौगुले (उमरगा)
9 – संजय शिरसाट (औरंगाबाद पश्चिम)
सवाल नंबर 4- दिल्ली में क्या चल रहा, मुंबई में कैसी हलचल?
मुंबई में उद्धव ठाकरे ने पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है। मुंबई में कहा रहा है कि 10-12 विधायकों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। अब उद्धव की बैठक से काफी कुछ साफ हो जाएगा। जितने विधायक इस बैठक में नहीं पहुंचे, उतने भाजपा के खेमे में जाने की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं। कुछ विधायक आधी रात के बाद ही सूरत के लिए निकल गए थे। भाजपा शासित राज्य के होटल में रुकने का मतलब ही है कि खेला शुरू हो चुका है। मुंबई से लेकर दिल्ली तक हलचल बढ़ गई है। शरद पवार के दिल्ली वाले घर पर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। एनसीपी के नेता अजित पवार और जयंत पाटिल दिल्ली रवाना हो गए हैं। आज सुबह विपक्षी दलों को राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर आमराय बनाने के लिए बैठक करनी थी लेकिन पवार के लिए अब उद्धव सरकार को बचाना प्राथमिकता है। फूट के डर से कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को दिल्ली बुला लिया है।
सवाल नंबर 5- कौन हैं एकनाथ शिंदे, जिन्होंने उद्धव की धड़कनें बढ़ा दीं
कहते हैं विरोधी से ज्यादा खतरनाक भीतरघाती होता है। एकनाथ शिंदे को ठाकरे परिवार का विश्वासपात्र माना जाता था। वह सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। वह नगर विकास जैसा अहम मंत्रालय संभाल रहे हैं। वह शुरू से शिवसेना के साथ हैं, लेकिन सियासत में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता है। वह महाराष्ट्र विधासभा में लगातार चार बार 2004 से 2019 तक निर्वाचित होते रहे। वह खुद मानते रहे हैं कि उन पर बाला साहेब ठाकरे का बड़ा प्रभाव था। 1980 के दशक में शिवसैनिक बने। 1997 में शिंदे को शिवसेना ने ठाणे नगर निगम चुनाव में पार्षद का टिकट दिया था। 2001 में वह सदन के नेता चुने गए और विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले तक पद पर रहे।