दौसा : किसानों के मसीहा के रूप में जाने जाने वाले दिवंगत नेता राजेश पायलट की 11 जून को पुण्यतिथि है। 11 जून को हर साल दौसा के भडाणा गांव में स्वर्गीय राजेश पायलट की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा होती है। इस साल होने वाली श्रद्धांजलि सभा पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई है। लगातार कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सचिन पायलट अपने पिता की पुण्यतिथि पर क्या ऐलान करने वाले हैं। पिछले कई दिनों से चर्चाएं चल रही हैं कि कांग्रेस से खफा रहने वाले पायलट नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। ऐसे लाखों लोग यह जानने के इच्छुक हैं कि 11 जून को क्या होने वाला है?

प्रेरणा दिवस के रूप में मनाई जाएगी पुण्यतिथि
स्वर्गीय राजेश पायलट की पुण्यतिथि प्रेरणा दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इस अवसर पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहेंगे। श्रद्धांजलि सभा के तहत होने वाली प्रार्थना के बाद कांग्रेस नेता सचिन पायलट अपने पिता की प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम की तैयारियां पिछले एक महीने से चल रही है। हालांकि इस श्रद्धांजलि सभा में आमंत्रण के लिए सिमित संख्या में कार्ड छपवाए जाते हैं लेकिन 95 फीसदी लोग स्वर्गीय पायलट के प्रति आस्था के कारण सभा में शामिल होने आते हैं। चूंकि स्वर्गीय राजेश पायलट का जनता से जुड़ाव और विशेष लगाव रहा है, इसलिए आएंगे लोग स्वत: आकर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

सचिन पायलट के संबोधन पर टिकी निगाहें
स्वर्गीय राजेश पायलट के पुत्र और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पिछले साढे़ चार साल अपनी पार्टी से खफा चल रहे हैं। वजह साफ है कि पूर्ववर्ती भाजपा शासन के दौरान विपक्षी दल के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने जी जान लगाकर मेहनत की। कांग्रेस सत्ता तक पहुंचने में कामयाब रही लेकिन पायलट का मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब अधूरा रह गया। स्वयं पायलट और उनके समर्थकों को पूरा विश्वास था कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उन्हीं का चहेता नेता बैठेगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर पायलट अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर कई बार दिखा चुके हैं। यही कारण है कि पिता की पुण्यतिथि के इस खास दिन पर पायलट अपने मन के इरादे जाहिर कर सकते हैं।
जुलाई 2020 में पायलट ने पहली बार उठाया कड़ा कदम
तीन साल पहले 11 जून 2020 को सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत का निर्णय लिया था। उसी दिन बगावत करना तय था लेकिन इसकी भनक गहलोत गुट को लग गई थी। ऐसे में ठीक एक महीने बाद 11 जुलाई सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायक राजस्थान की सीमा से बाहर गुमनाम स्थान पर चले गए। अगले दिन पता चला कि सचिन पायलट गुट के नेता राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तिन की मांग करते हुए मानेसर होटल में पहुंच गए। गहलोत सरकार गिरने की कगार पर आ गई थी। इधर, सीएम गहलोत को भी सरकार बचाने के लिए विधायकों की बाड़ेबंदी करनी पड़ी। 34 दिन बाद केन्द्रीय नेतृत्व और गांधी परिवार के सदस्य पायलट को मनाने में कामयाब हो सके।

11 अप्रैल को पायलट का अनशन
पायलट बार बार कहते हैं कि वे कांग्रेस में ही रहेंगे लेकिन सोचिए जिस कद्दावर नेता के लाखों फैन हो। जिसका प्रभाव पूरे राजस्थान में हो। जिस नेता को पार्टी अलग अलग राज्यों में स्टार प्रचार बनाकर भेजती रही हो। जो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता हो। उस नेता की बातों को अगर तवज्जो नहीं दी जाएगी तो उनके दिल पर क्या गुजरती होगी। जब जब पायलट ने नाराजगी जताई, तब तब पार्टी ने बड़े नेताओं ने कोई न कोई आश्वासन देकर पायलट को मना लिया। इससे पायलट को क्या मिला? अब 11 जून को होने वाली श्रद्धांजलि सभा में सचिन पायलट अपने मन की बात कह सकते हैं। यही वजह है कि लाखों लोगों की निगाहें 11 जून पर टिकी है। अटकलें हैं कि वो नई पार्टी का ऐलान भी कर सकते हैं।