भोपाल : प्रदेश में शिक्षा उच्च शिक्षा की स्थिति को लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने सीएम डॉ मोहन यादव से दस सवाल किए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने से पहले वे उच्च शिक्षा मंत्री थे लेकिन न उस समय हायर एजुकेशन मॉडल में सुधार आया, न अब दिख रहा है।
‘उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कब होगा सुधार’
जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा है कि ‘आदरणीय मुख्यमंत्री जी, आप शायद भूल रहे हैं, लेकिन जनता को याद है कि पिछली सरकार में आप उच्च शिक्षा मंत्री थे! यह आपकी प्राथमिक व बुनियादी जिम्मेदारी थी कि मध्यप्रदेश की हायर एजुकेशन न केवल बेहतर हो, बल्कि परंपरागत समस्याओं से मुक्ति भी पा ले! दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया! अब जबकि आप मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं! पहले की तुलना में अब कहीं ज्यादा अधिकार संपन्न हैं! उम्मीद तो की ही जा सकती है कि उच्च शिक्षा आदर्श भले ही न बन पाए, कम से कम इतना तो जरूर हो कि यह संकट का पर्याय बनने से बच जाए!’
मुख्यमंत्री से किए दस सवाल
उन्होंने कहा कि ‘मैं केवल 10 सवालों के जरिए आपसे जानना चाहता हूं कि मध्य प्रदेश का हायर एजुकेशन मॉडल कब सुधरेगा? 1. संरचनात्मक अवसंरचना : उच्च शिक्षा संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है! यह बड़ी समस्या कब दूर होगी? 2. शिक्षकों की कमी : योग्यता प्राप्त शिक्षकों की संख्या पर्याप्त नहीं है! इस सबसे जरूरी आवश्यकता को आप कब पूरा करेंगे? 3. कोर्स और पाठ्यक्रम : पुराने व अप्रासंगिक पाठ्यक्रम वर्तमान उद्योग की जरूरतों को पूरा नहीं करते हैं! सरकार क्या कर रही है? 4. फंडिंग और वित्तीय सहायता : शिक्षा के लिए समुचित वित्तीय सहायता का अभाव है! क्या कर्ज का पैसा यहां उपयोग होगा? 5. तकनीकी संसाधन : आधुनिक तकनीकी साधनों और अनुसंधान सुविधाओं की कमी भी बड़ी समस्या है! इसमें सुधार कब होगा? 6. रोजगार कौशल : विद्यार्थियों में रोजगार के लिए आवश्यक व्यावहारिक कौशल की कमी है! इस समस्या को कैसे दूर किया जाएगा? 7. प्रवेश प्रक्रिया : जटिल और अपारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है! सरकारी नीति में बदलाव कब होगा? 8. शिक्षा की गुणवत्ता : शिक्षा की गुणवत्ता और मानकों में असंगतता बनी हुई है! सुधार में आपकी क्या भूमिका है? 9. भाषा अवरोध : ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में अंग्रेजी और हिंदी माध्यम में शिक्षा के बीच संतुलन की कमी है! क्यों? 10. शोध और विकास : अनुसंधान व नवाचार के लिए अपर्याप्त समर्थन और प्रोत्साहन है! यह सरकारी बाधा कब दूर होगी?’