इतिहास के अनुसार भोपाल को राजा भोज द्वारा बसाए जाना बताया जाता है। कई सरकारी दस्तावेजों में राजा भोज का भोपाल को बसाने की जिक्र मिलता है।इसी तरह दुनिया की सबसे बडी जानकादी देने वाली बेवसाइट विकिपीडिया पर भी भोपाल की स्थापना राजा भोज द्वारा किया जाना बताया जाता है।
ऐसा समझा जाता है कि भोपाल की स्थापना परमार राजा भोज ने 1000-1055 ईस्वी में की थी। उनके राज्य की राजधानी धार थी, जो अब मध्य प्रदेश का एक जिला है। शहर का पूर्व नाम ‘भोजपाल’ था जो भोज और पाल के संधि से बना था। परमार राजाओं के अस्त के बाद यह शहर कई बार लूट का शिकार बना।
इसके बाद भोपाल शहर की स्थापना अफ़गान सिपाही दोस्त मोहम्मद (1708-1740) ने की थी। ऒरंगजेब की मृत्यु के बाद की अफ़रातफ़री में जब दोस्त मोहम्मद दिल्ली से भाग रहा था, तो उसकी मुलाकात गोंड रानी कमलापती से हुई जिसने दोस्त मोहम्मद से मदद माँगी। वह अपने साथ इस्लामी सभ्यता ले कर आया जिसका प्रभाव उस काल के महलों और दूसरी इमारतों मे साफ़ दिखाई देता है। आज़ादी के पहले भोपाल हैदराबाद के बाद सबसे बड़ा मुस्लिम राज्य था। सन् 1819 ईस्वी से ले के 1926 ईस्वी तक भोपाल का राज चार बेगमों ने संभाला। कुदसिया बेगम सबसे पहली महिला शासक बनीं। वे गौहर बेगम के नाम से भी मशहूर थीं। उनके बाद, उनकी इकलौती संतान, नवाब सिकंदर जहां बेगम शासक बनीं। सिकंदर जहां बेगम के बाद उनकी पुत्री शाहजहाँ बेगम ने भोपाल रियासत की बागडोर संभाली। अंतिम मुस्लिम महिला शासक पुत्री सुल्तान जहां बेगम थीं। बाद में उनके पुत्र हमीदुल्ला खान गद्दीनशीं हुए, जिन्होंने मई 1949 तक भोपाल रियासत के विलीनीकरण तक शासन किया।
क्या कहते हैं जानकार
वही दूसरी ओर कई ऐसे इतिहास के जानकार है जिन्होंने इस बात का पुरजोर खंडन किया कि भोपाल की स्थापना राजा भोज ने की है। उनका कहना है कि भोपाल का पुराना नाम भूपाल था जिसे गौंड कबिले के सरदार ने बसाया था, उसके बाद लंबे समय तक गौंड राजाओं का राज रहा। जब गौंड रानी कमलापति पर संकट आया तो उन्होंने अफ़गान सिपाही दोस्त मोहम्मद से मदद मांगी। उस समय दोस्त मोहम्मद ने रानी की बहुत मदद की । बाद में रानी को गिल्लौर किले में रखा गया और भोपाल पर दोस्त मोहम्मद ने अपना शासन किया। इस दौरान दोस्त मोहम्मद ने भोपाल का विस्तार किया। इन इतिहास के जानकारों की मानें तो यह बतातें है कि राजा भोज का धार में था वो अपने पुत्र की बिमारी के ठीक करने के लिए वर्तमान भोजपुर मंदिर के पास आया जहां उसके एक तालाब बनवाया जिसमें कई जगहों का पानी आता था। पुत्र के ठीक होने पर राजा भोज ने यहा शिवमंदिर बनवाया जिसका नाम भोजपूर मंदिर रखा गया। ये इतिहासकार राजा भोज का भोपाल से कोई संबध नहीं होना बताते है। कई ऐसी किताबें लिखी गई है जिसमें इन बातों को दावे के साथ बताया गया कि राजा भोज का भोपाल से कोई लेनादेना नहीं है।