जयपुर : कांग्रेस के युवा नेता और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के सब्र का बांध पिछले दिनों टूट गया और खुलकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोल दिया। मामला पिछले दिनों तब का है, जब अशोक गहलोत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ही कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान, पीएम मोदी ने गहलोत की कथित प्रशंसा भी की, जिसपर सचिन पायलट ने प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत को निशाने पर लिया। पायलट ने काफी दिनों बाद चुप्पी तोड़ी है, जिससे सवाल उठने लगे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से पायलट को खुलकर मैदान में उतरना पड़ा। राजनैतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो भले ही पायलट को गांधी परिवार का समर्थन हासिल हो, लेकिन उन्हें फिर से साल 2018 वाला खेल होने का डर लग रहा है। दरअसल, पिछला विधानसभा चुनाव पायलट के बतौर प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए ही लड़ा गया था, लेकिन अशोक गहलोत ने बाजी मार ली थी और मुख्यमंत्री बन गए थे। ऐसे में पायलट कहीं न कहीं अब भी मान रहे हैं कि सोनिया गांधी के साथ रिश्तों के चलते अशोक गहलोत फिर से न उनके साथ कोई खेल कर दें और मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बने रहें।
गहलोत के करीबियों पर एक्शन न होना बनी वजह?
25 सितंबर की रात में राजस्थान में जो कुछ भी हुआ, उससे अशोक गहलोत के लिए दिक्कतें पैदा हो गईं। कांग्रेस आलाकमान ने मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को राजस्थान भेजा तो एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाने के लिए था, लेकिन विधायकों ने बगावत कर दी। कांग्रेस के दोनों नेता होटल में इंतजार करते रह गए, लेकिन विधायक गहलोत के करीबियों में शामिल शांति लाल धारीवाल के बैठक करते रहे। बाद में गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हाथ धोना पड़ा और उनके करीबियों को नोटिस थमाया गया सो अलग। नोटिस मिलने के बाद अब तक बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं लिया गया है, जबकि पायलट गुट के विधायक कड़े से कड़ा कदम उठाए जाने की मांग कर रहे हैं। घटनाक्रम के बाद केसी वेणुगोपाल ने भी साफ कहा था कि दो से तीन दिनों में राजस्थान संकट का हल निकाला जाएगा, लेकिन महीनेभर का समय हो चुका है, पर दूर-दूर तक कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। सचिन पायलट के गहलोत पर हमलावर होने की विभिन्न वजहों में से एक वजह यह भी मानी जा रही है।
बीतता जा रहा समय, चुनाव भी नजदीक
सचिन पायलट हर हाल में जल्द से जल्द सीएम बनना चाहते हैं। उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता रहा है। अब जब विधानसभा चुनाव होने में सालभर का समय भी बाकी नहीं है, तो पायलट चाहते हैं कि जितनी जल्दी हो सके कांग्रेस उन्हें मुख्यमंत्री बनाए, ताकि उनके पास विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयारी करने का भी समय रहे। पिछले दिनों पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात के दौरान भी पायलट ने राज्य में पार्टी की स्थिति के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन सूत्रों की मानें तो गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते तुरंत राजस्थान में कोई फेरबदल करने की गुंजाइश नहीं दिख रही है। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि सचिन पायलट के दिमाग में यह बात भी है कि राजस्थान में हर साल सरकारें बदलती हैं। पिछले चुनावों का इतिहास तो ऐसा ही कहता है। ऐसे में यदि इस बार पायलट को मुख्यमंत्री पद की गद्दी नहीं मिलती है तो फिर उन्हें मुख्यमंत्री बनने के लिए काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा सकता है।