होली की पूजा रंग वाली होली के पहले दिन से ही शुरू हो जाती है। इसे करने में पूरी सावधानी रखनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करती हैं, उनके पुत्र को जीवन में कभी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। यदि आपके पुत्र को कोई परेशानी है तो आपके इस व्रत को करने से उसकी परेशानियां दूर हो जाएंगी। होलिका पूजन करने के लिए महिला होली वाले दिन व्रत रखती हैं और होलिका का पूजन करने के लिए हल्दी, गुड़, जौ की बाली और गोबर से बनी हुई बुरकली लेकर आती हैं। होली को लेकर 10 दिन पहले से बुरकली थापना महिला शुरू कर देती है। होलिका पूजन में जौ की बालियों से इसलिए पूजा की जाती है, क्योंकि अब रबी की फसल पूरी तरह से पक चुकी है। अब फसल की कटाई का समय आ गया है। होलिका चौक पर होली पूजन करने के लिए महिला अपने निजी वाहनों और तिपहियों में बैठ कर पहुंची। मौके पर पूजन सामग्री बुरकली और जौ की बाली 10-10 रुपये में बेची जा रही थी।
होली का धार्मिक महत्व
धार्मिक महत्व के अनुसार होलिका का पूजन इसलिए किया जाता है भक्त प्रहलाद को हिरणाकश्यप के कहने पर होलिका गोद में लेकर आग में बैठने वाली थी। भक्त प्रहलाद आग से बच गए और होलिका जल गई।