शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसा खूबसूरत शहर छिंदवाड़ा आखिर क्यों प्रसिद्ध है

छिंदवाड़ा देश के ह्रदय राज्य मध्य प्रदेश का एक खूबसूरत शहर है, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। छिंदवाड़ा शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में खजूर के पेड़ों की अधिकता के साथ बसा है। शहर के नाम का शाब्दिक अर्थ है खजूर(छिंद) का स्थल (वाड़ा), अपनी इस खास विशेषता के कारण इस राज्य का नाम छिंदवाड़ा पड़ा।छिंदवाड़ा देश के ह्रदय राज्य मध्य प्रदेश का एक खूबसूरत शहर है, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। छिंदवाड़ा शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में खजूर के पेड़ों की अधिकता के साथ बसा है। शहर के नाम का शाब्दिक अर्थ है खजूर(छिंद) का स्थल (वाड़ा), अपनी इस खास विशेषता के कारण इस राज्य का नाम छिंदवाड़ा पड़ा।

देवगढ़ किला

छिंदवाड़ा भ्रमण की शुरुआत आप यहां के ऐतिहासिक देवगढ़ किले से कर सकते हैं। यह किला मुख्य शहर से 39 कि.मी की दूरी पर स्थित है। घने जंगलों और गहरी घाटियों के साथ यह प्राचीन किला यहां की एक पहाड़ी पर बनाया गया था। सुगम पहाड़ी मार्गों की सहायता से आप ऊपर किले तक पहुंच सकते हैं। जानकारी के अनुसार इस किले का निर्माण गोंड के राजा जाटव द्वारा किया गया था। 18 वीं शताब्दी तक यह गोंडवाना राजवंश की राजधानी के रूप में सक्रिय था। किले की वास्तुकला मुगल शैली से प्रभावित है। यह एक विशाल किला है जिसकी खूबसूरत इमारते आगंतुकों को काफी ज्यादा प्रभावित करती है। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं।

पातालकोट

छिंदवाड़ा की पहाड़ी खूबसूरती को देखने के लिए आप यहां के पातालाकोट का सैर का प्लान बना सकते हैं। यह क्षेत्र शहर के तामिया की पहाड़ियों में बसा हुआ है। अगर आप घाटी के शीर्ष पर बैठकर अगर आप इस स्थल को देखने तो यह कुछ घोड़े की नाल जैसा प्रतीत होगा। इस स्थल से एक पौराणिक किवंदती भी जुड़ी है माना जाता है कि भगवान शिव’ की पूजा करने के बाद राजकुमार मेघनाथ इस स्थल से पाताल लोग गए थे। ‘पातालकोट’ अपनी कुदरती सुंदरता और स्थानीय संस्कृति के बल पर पर्यटकों को आकर्षित करने का काम करता है।

जनजातीय संग्रहालय

छिंदवाड़ी स्थित दर्शनीय स्थलों की श्रृंखला में आप यहां के जनजातीय संग्रहालय की सैर कर सकते हैं। इस म्यूजियम की शुरुआत 20 अप्रैल 1954 मे की गई थी, जिसे 1975 में राज्य संग्रहालय का दर्जा प्राप्त हुआ था। ​​8 सितंबर 1997 में इस म्यूजियम का नाम बदलकर ‘श्री बादल भोई राज्य जनजातीय संग्रहालय’ कर दिया गया था। अपने 14 रूमों और 3 गैलरियों और 2 स्वतंत्र गैलरियों के साथ यह जनजातीय संग्रहालय राज्य के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में गिना जाता है।

अनहोनी

उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां अनहोनी नाम के गांव की सैर कर सकते हैं। यह गांव छिंदवाड़ा-पिपरिया रोड पर झिरपा गांव से लगभग 2 मील की दूरी पर स्थित है। यह गांव गंधक युक्त गर्म पानी के कुंड के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि इस कुंड का जल औषधी गुण से युक्त है, जो त्वचा संबंधी रोगों का निपटान कर देता है। अगर आप छिंदवाड़ा आएं तो इस अद्भुत गांव की सैर का आनंद जरूर लें।