भारत में प्रायः सभी धर्म के मानने वाले लोग हैं। हिन्दू जहां अपने हिन्दू धर्म के प्रति गहरी आस्था रखते हैं। वहीं मुसलमान इस्लाम धर्म के प्रति अपनी गहरी आस्था और विश्वास रखते हैं। इसलिए कहा जाता है कि भारत विविधताओं से भरा देश है। फिर भी भारत में स्थित कई ऐसे मंदिर हैं जहां गौर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है। आखिर ऐसा क्यों है? आगे हम इसे जानते हैं।
भगवान शिव को समर्पित त्र्यंबकेश्वर मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह गैर-हिंदुओं के लिए यहां प्रवेश वर्जित है। हालांकि इस संबंध में मंदिर न्यास परिषद का कहना है कि ऐसी व्यवस्था सुरक्षा की दृष्टि से की गई है। वहीं कई लोग ये मानते हैं कि गैर-हिंदुओं के साथ यह नाइंसाफी है। दूसरी ओर केरल का एक प्रसिद्ध मंदिर ‘गुरवायूर मंदिर’ है। इस मंदिर के विषय में भी यह कहा जाता है कि यहां गैर-हिंदुओं के लिए प्रवेश वर्जित है।
इसके अलावा पुरी का जगन्नाथ मंदिर भी गैर-हिंदुओं के प्रवेश से माना करता है। भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर अपनी दिव्यता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर के बारे में भी ऐसा कहा जाता है कि यहां पर हिंदुओं को छोड़कर दूसरा कोई इसमें प्रवेश नहीं कर सकता है। केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है। यह दक्षिण भारत का एक बेहद प्रसिद्ध मंदिर है।
इस मंदिर की चर्चा पुराणों में भी मिलती है। कहते हैं कि भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में भी गौर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है। वहीं काठमांडू (नेपाल) का प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। कहते हैं कि इस मंदिर में चार मुंह वाला शिवलिंग स्थापित है। जिसका संबंध केदारनाथ के शिवलिंग से भी है। शिव के इस मंदिर में भी हिंदुओं को छोड़कर अन्य धर्म के लोग नहीं जा सकते हैं