विदिशा का शिव मंदिर आखिर क्यों है खास

एमपी के विदिशा जिले की लटेरी तहसील में ऐतिहासिक हजारों वर्ष पुराना एक ऐसा मंदिर है, जो अपने आप में कई साल पुरानी भारतीय परंपरा को समेटे हुए हुए है. विदिशा जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर लटेरी का यह मन्दिर छोटी मदागन सिध्देश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. आसपास के क्षेत्र सहित दूर दराज के शिव भक्तों के लिए यह धार्मिक स्थल आस्था का केंद्र बन चुका है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण हजारों वर्ष पहले किया गया था, लेकिन मुगल शासनकाल में इस मन्दिर को खण्डित कर दिया गया. जिसके बाद 16वीं शताब्दी में इंदौर की महारानी देवी अहिल्या बाई होलकर के शासन काल में इसका जीर्णोद्धार कराया गया.

मंदिर से जुड़ी खास बातें

स्थानीय लोगों के अनुसार यह स्थल रामायण काल से संबंध रखता है. महर्षि बाल्मिकि आश्रम के रूप में प्रसिद्ध इस स्थल पर परमार काल में भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था. मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में स्तिथ लटेरी धार्मिक क्षेत्रों में अपनी विशेष पहचान रखती है, यहां एक नहीं बल्कि कई धार्मिक तीर्थ स्थल मौजूद हैं. जिनकी ख्याति मध्य प्रदेश ही नहीं बिल्कु देश भर में है.
 
शिवरात्रि पर इस मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. शास्त्र कहते हैं कि चारों पुरूषार्थों धर्म, अर्थ, काम मोक्ष को देने वाला है. शास्त्र कहते हैं कि संसार में अनेक प्रकार के व्रत, विविध तीर्थ स्नान, नाना प्रकार के दान, अनेक प्रकार के यज्ञ, तरह तरह के तप तथा जप आदि भी महाशिवरात्रि व्रत की समानता नहीं कर सकते अतः अपने हित साधनार्थ सभी को इस व्रत का अवश्य पालन करना चाहिए. महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय दिव्यतापूर्ण है इससे सदा सर्वदा भोग मोक्ष की प्राप्ति होती है.