शेरों के नाम से इंसानों के पसीने छूट जाते हैं तो वहीं सफ़ेद शेरों की बात करें तो मन में उत्सुकता उन्हें देखने की जरूर उठती है।
विंध्य क्षेत्र दुनिया में वाइट टाइगर के लिए जाना जाता है। दुनिया को पहली बार मोहन के रूप में वाइट टाइगर से परिचय कराने वाले रीवा रियासत के तत्कालीन महाराजा मार्तण्ड सिंह जू देव थे। इसके महत्व को समझते हुए ही मुकुंदपुर टाइगर सफारी का नाम महाराजा मार्तंड सिंह रखा गया गया है। सबसे पहला वाइट टाइगर मोहन का निवास स्थान भी यही था और यहीं पर उसकी संतानें पली-बढ़ीं। करीब 10 साल के प्रयासों के बाद 2016 में सफारी आमजन के लिए शुरू हो सकी। इससे सफेद बाघ की चहलकदमी फिर से विंध्य की धरती पर शुरू हो गई है।
ऐतिहासिक प्रदेश रीवा विश्व जगत में सफेद शेरों की धरती के रूप में भी जाना जाता रहा है। रीवा शहर का नाम रेवा नदी के नाम पर पड़ा जो कि नर्मदा नदी का पौराणिक नाम कहलाता है। पुरातन काल से ही यह एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग रहा है। जो कि कौशाबी, प्रयाग, बनारस, पाटलिपुत्र, इत्यादि को पश्चिमी और दक्षिणी भारत को जोड़ता रहा है। बघेल वंष के पहले अन्य शासकों के शासनकाल जैसे गुप्तकाल कल्चुरि वंश, चन्देल एवं प्रतिहार का भी नाम संजोये है।
अगर आप घूमने के शौक़ीन हैं तो मुकुंदपुर टाइगर सफारी जरूर जाइये।