शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र की सत्ता बदल चुकी है तो कांग्रेस शासित कुछ और राज्यों में भी संकट बढ़ने की आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं। इस बीच राजस्थान सरकार की बेचैनी भी बढ़ गई है। उदयपुर हत्याकांड को लेकर सवालों में घिरे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच कड़वाहट कोई नई बात नहीं है। इस बीच सोमवार को कांग्रेस सरकार की चिंता उस वक्त बढ़ गई जब सोमवार को विधायक दल की बैठक से बीपीटी के विधायक गायब रहे। सूत्रों के मुताबिक, कई निर्दलीय और कांग्रेस के भी कुछ विधायक इस बैठक से गैर हाजिर रहे।
विधायकों की इस तरह गैर-हाजिरी को लेकर सियासी गलियारों में कई अटकलें लगने लगी हैं। सवाल पूछा जा रहा है कि कहीं यह राजस्थान में महाराष्ट्र जैसे संकट की आहट का संकेत तो नहीं है? राजनीतिक जानकारों की मानें तो हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान तीन सीटों पर जीत हासिल करके अपनी स्थिति मजबूत करने वाले गहलोत की मुश्किलें कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि इस हत्याकांड के बाद बहुसंख्यक समुदाय में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी है। बदले माहौल में एक बार फिर विधायक अपने-अपने इलाकों में जनता का मूड भापने में जुट गए हैं। ऐसे में विधायकों की गैर-हाजिरी से गहलोत सरकार की चिंता बढ़ना लाजिमी है।
पायलट से फिर तनातनी
हाल ही में अपने ‘सब्र’ के लिए राहुल गांधी से तारीफ पाने वाले सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच सबकुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है। हाल ही में गहलोत ने खुलकर यह कह दिया कि सचिन पायलट बीजेपी नेताओं के साथ मिले हुए थे और सरकार गिराने की कोशिश की। इसके अलावा गहलोत ने पायलट को कई बार सार्वजनिक रूप से निकम्मा कहा है। हालांकि, हाल ही में उन्होंने सफाई देते हुए यह भी कहा कि उन्होंने प्यार से ऐसा कहा और बच्चों को ऐसा कह दिया जाता है।
कब तक सब्र करेंगे सचिन पायलट?
राजस्थान की सियासत में यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है कि सचिन पायलट कब तक सब्र दिखाएंगे। पार्टी नेतृत्व की ओर से उनसे जो वादे किए गए थे उन्हें कब पूरा किया जाएगा? क्या अगले साल विधानसभा चुनाव तक सचिन पायलट यथास्थिति बनाए रखेंगे? राजनीतिक जानकारों की मानें तो पायलट अगले चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस पर अपनी कमान चाहेंगे। वह अगले चुनाव में चेहरा घोषित किए जाने की मांग भी करेंगे।