भोपाल : मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने की शुरुआत मध्य प्रदेश ने सबसे पहले की है। रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी में अनुवादित की गई तीन किताबों की लॉन्चिंग की थी। इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉक्टरों से अनुरोध करते हुए कहा था कि दवा के पर्चे पर Rx की जगह श्री हरि लिखें।साथ ही दवाओं का नाम भी हिंदी में लिखें। इस बयान के बाद डॉक्टरों ने अपनी राय दी है।
दरअसल इस बारे में अपनी राय देते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि डॉक्टर दवाओं के पर्चे में जो Rx लिखा जाता है, उसकी जगह श्रीहरि लिखने की बात कही गई है। और यह अनुवाद बिल्कुल ही गलत है। Rx का मतलब है नीचे लिखी दवाई लीजिए। लेकिन श्रीहरि लिखने से कोई मतलब नहीं निकलेगा।
उन्होंने बताया कि मेडिकल फील्ड में सभी जाति, धर्म के लोग पढ़ते और प्रैक्टिस करते हैं। हो सकता है कि श्रीहरि लिखने में दूसरे धर्म के लोगों को आपत्ति हो। इसके साथ ही श्रीहरि से Rx शब्द के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती है। उन्होंने कहा कि हम सभी को नेशनल मेडिकल कमीशन से चर्चा करनी चाहिए ताकि भ्रम की स्थिति न बने।
एक अन्य डॉक्टर ने कहा कि पर्चे को लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन के निर्देश हैं कि पर्चा स्पष्ट होना चाहिए। पर्चे का एक फॉर्मेट तय है जिसमें न्यूनतम जानकारी लिखी जानी चाहिए। भाषा को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है कि किसी विशेष भाषा में ही पर्चा लिखा जाए। मुख्यमंत्री ने श्रीहरि लिखने की बात कही है। इसमें ये जरूरी नहीं कि हर पर्चे पर श्रीहरि लिखना है।
वहीं इसे लेकर आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के नेता तौकीर निजामी ने बताया कि हम सभी भाषाओं का स्वागत करते हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हिंदी प्रेम को धर्म विशेष के चश्मे से देखना वोटों की राजनीति है। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि मुख्यमंत्री और दूसरे भाजपा नेताओं के बेटे विदेश में पढ़ रहे हैं, उनका क्या होगा?
जानकारी के अनुसार हर नियम नेशनल मेडिकल कमीशन तय करता है। पूरे देश मे दवा के पर्चे का एक तय फॉर्मेट है। लेकिन अगर किसी को कोई आपत्ति है और इसे लेकर कोई कोर्ट तक जाता है तो न्यायालय में इस बात का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि आखिर दवा के पर्चे पर श्रीहरि या हिंदी में दवाएं किस आदेश या नियम के अनुसार लिखी गई हैं। इसलिए कमीशन को जल्द ही गाइडलाइन बना देनी चाहिए।