स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर को आज पूरा देश नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, उनका निधन सिर्फ संगीत जगत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. स्वर कोकिला की जिंदगी से जुड़े कई किस्से लोगों को याद रहे हैं.
हेमा से ऐसी बनीं लता मंगेशकर
29 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्म लेने वाली लता मंगेशकर का नाम रियल नाम शायद कई फैंस भी नहीं जानते होंगे. उनका रियल नाम हेमा था. कहते हैं कि उनके पिता दीनानाथ ने भावबंधन नाटक में एक फीमेल कैरेक्टर से प्रभावित होकर अपनी बेटी का नाम लता मंगेशकर कर दिया. कुछ इस तरह हेमा से लता मंगेशकर बनी स्वर कोकिला ने अपने सूरों से ऐसा समां बाधा कि पूरा देश दीवाना हो गया.
एक दिन के बाद छोड़ दिया स्कूल
संगीत की दुनिया में एक सम्मानित नाम लता मंगेशकर को संगीत और नाटक की कला विरासत में मिली थी लेकिन उनकी पतली आवाज शुरुआती दिनों में काफी मुसीबत बनी. आज संगीत के क्षेत्र में जिनका योगदान अतुलनीय उन्हें पतली आवाज की वजह से कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा. कहते हैं कि एक दिन के लिए स्कूल जाने के बाद लता मंगेशकर ने स्कूल ही छोड़ दिया, क्योंकि वह बच्चों को संगीत सीखाना चाहती थीं और टीचर ये होने नहीं देना चाहते थे.
आजीवन नहीं की शादी
शुरुआत के कुछ दिनों तक लता मंगेशकर के जीवन में सबकुछ ठीक चलता रहा लेकिन 13 साल की उम्र में जब पिता दीनानाथ ने दुनिया को अलविदा कहा तो पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर ही आ गई. हालांकि जिम्मेदारियों के साथ-साथ लता दीदी शास्त्रीय संगीत सीखती रहीं. अपनी गायिकी से दुनियाभर में देश का नाम रोशन करने वाली लता मंगेशकर ने आजीवन शादी नहीं की. लेकिन इन बातों का जिक्र भी खूब होता है कि राजस्थान के डुंगरपुर रियासत के राज सिंह डुंगरपुर उन्हें मीठू कहकर बुलाते थे.
राज्यसभा सांसद के तौर पर भी हुईं नामित
अपने जीवनकाल में भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्राप्त करने वाली लता दीदी ने सक्रिय राजनीति में कदम तो नहीं रखा लेकिन राज्यसभा सांसद जरूर बनीं. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें साल 1999 में राज्यसभा सांसद के तौर पर नामित किया गया. अब लता दीदी भले ही इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनकी यादें, उनके अनसुने किस्से लोगों की जेहन में हमेशा रहेंगी.