बेरोजगारी एक ऐसा श्राप है जो न जीने देता है और ना ही मरने। हर युवा की अपनी सरकार से उम्मीद होती है की वो युवाओं के लिए नौकरियां निकाले, रोजगार के साधन बनाये लेकिन यहाँ तो शिवराज सरकार टाँय- टाँय फिस है जी हाँ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के शासनकाल में बेरोजगारी चरम पर पहुंच चुकी है, पर किसी को नहीं पता कि यह बेरोजगारी अब जानलेवा हो गयी है। NCRB द्वारा प्रतिवर्ष ADSI रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है जिसमें बेरोजगारी के कारण कितने लोगों ने आत्महत्या की इसकी जानकारी भी दी जाती है। ADSI की रिपोर्ट के आंकड़े बेहद गंभीर हैं।
जनता के सामने रखा ये आंकड़े
(1) मध्यप्रदेश में हर दिन 2 युवा बेरोजगारी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं।
(2) शिवराज सरकार में बेरोजगारी की कारण आत्महत्या 20 गुना (2000%) बढ़ी। वर्ष 2005 में 29 युवाओं ने बेरोजगारी के कारण आत्महत्या की थी जबकि 2015 में 579 युवाओं ने।
(3) प्रदेश की राजधानी भोपाल में हर दूसरे दिन एक युवा बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करता है।
(4) पूरे देश में बेरोजगारी के कारण सबसे ज्यादा आत्महत्याएं मध्यप्रदेश में होती हैं।
(5) बेरोजगारी के कारण हर वर्ष आत्महत्या करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
(6) 2005 में 43 किसान आत्महत्या करते थे तो 1 बेरोजगार युवा आत्महत्या करता था। आज हर दूसरे किसान के साथ 1 युवा बेरोजगारी के कारण आत्महत्या कर रहा है।