भोपाल : मध्यप्रदेश में चुनाव का समय नजदीक आते ही शिवराज सरकार घोषणाओं पर घोषणा कर रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीखों कमाओं योजना लांच की जिसको युवा कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष विवेक त्रिपाठी ने घोषणावीर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की युवाओं को गुमराह करने की योजना बताया है।
सरकार पर आरोप
विवेक त्रिपाठी ने कहा कि मध्यप्रदेश में पटवारी की 6 हजार पोस्ट के लिए 12 लाख आवेदन आए थे जिसमें 4 लाख पीएचडी इंजीनियर और एमबीए डिग्रीधारी हैं जिसमें लाखों युवा ओवर क्वालिफाइड हैं इसके वावजूद भी शिवराज सरकार 3 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज में डूबे मध्यप्रदेश को बर्बाद करने पर उतारू है।
प्रदेश में बेरोज़गारी दर सर्वाधिक 8.1 पर
विवेक त्रिपाठी ने प्रदेश की बेरोज़गारी दर पर 18 साल से सत्ता में शिवराज सिंह पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश में बेरोज़गारी दर सर्वाधिक 8.1 पर पहुंच गई हैं उज्जैन जिले में चपरासी जैसे 700 पदों के लिए दो लाख शिक्षित युवाओं ने आवेदन किए थे पूरे प्रदेश में इसी तरह युवा रोजगार के लिए दर दर भटक रहे है युवाओं के भविष्य की हवा निकाल कर शिवराज सरकार 80 करोड़ का जेट प्लेन खरीद रही हैं
शासकीय रिक्त पदों पर भर्ती नहीं कर रहीं शिवराज सरकार
अगर प्रदेश सरकार सिर्फ शासकीय विभागों में रिक्त 3 लाख पदों पर भर्ती निकाल कर भर्ती करें तो युवाओं को कुछ राहत प्रदान की जा सकती हैं परन्तु शिक्षित युवा उदाहरण स्वरूप अगर 10 युवा भी अपनी योग्यता और प्रतिभा के दम पर नौकरी पाते हैं तो शिवराज सरकार को इन्हें प्रतिमाह 3 लाख रुपए देने पड़ेंगे लेकिन सरकार इन्हें ससम्मान नौकरी की जगह 1 लाख रूपए का चुनावी स्टाइपेंड देना चाहती हैं ये उन शिक्षित बेरोज़गारी के ज़ख्मों पर नमक रगड़ने की चाल है जो अपनी बेरोज़गारी से ग्रस्त होकर आज भाजपा के खिलाफ हो चुके हैं।
विवेक त्रिपाठी ने परीक्षा शुल्क पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि शिवराज सरकार ने व्यापंम की परीक्षा शुल्क के रूप में 1 हजार करोड़ रुपए युवाओं से वसूल चुकी है जिसमें से 450 करोड़ रुपए आज भी बैंक में एफडी के रूप में बैंक में जमा है आज अगर भाजपा सरकार 10 हजार रुपए भी एक लाख युवाओं को स्टाइपेंड के नाम पर बांट भी देगी तो मात्र 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे जब सरकार विधानसभा में स्वीकार रही हैं कि प्रदेश में वर्तमान में 38 लाख शिक्षित और 1.5 लाख अशिक्षित युवा बेरोज़गार हैं इन सब के ऊपर भाजपा सरकार की फ़िज़ूल खर्ची की वजह से मध्यप्रदेश के प्रति युवा 50 हज़ार रुपए खर्च हो चुका हैं।