महाकालेश्वर के भक्तों के लिए अच्छी खबर है। ऐसे भक्त जिन्हें भस्म आरती के दर्शनों की अनुमति नहीं मिल पाती थी, अब उन्हें निराश नहीं होना पड़ेगा। वे भी बाबा महाकाल की भस्म आरती के दर्शन कर सकेंगे। इसी सोमवार से प्रशासन नई चलायमान व्यवस्था लागू कर रहा है। यानी वे लाइन में चलते हुए दर्शन कर सकेंगे। इससे पहले यह सिस्टम सिंहस्थ 2016 में लागू किया जा चुका है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की बैठक गुरुवार को हुई। मंदिर समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि अनुमति नहीं मिलने से कई भक्त भस्म आरती के दर्शनों से वंचित रह जाते हैं। नई व्यवस्था से ऐसा नहीं होगा। बिना अनुमति वाले श्रद्धालुओं के लिए समिति द्वारा बैरिकेडिंग की 3 लाइन से चलायमान व्यवस्था लागू की जाएगी। पहले की ऑनलाइन और ऑफलाइन अनुमति की व्यवस्था भी लागू रहेगी। अंतर सिर्फ इतना है कि अनुमति लेने वाले परिसर में बैठ सकेंगे।
महाकाल मंदिर में भस्म आरती करते पुजारी।
महाकाल मंदिर में भस्म आरती करते पुजारी।
7 दिन नए सिस्टम का ट्रॉयल
भस्म आरती के दौरान दर्शन कराते हुए उन्हें बाहर निकाला जाएगा। ऐसे श्रद्धालुओं को अनुमति लेने अथवा शुल्क देने की आवश्यकता भी नहीं होगी। इसके अलावा पहले से अनुमति लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए बैठक व्यवस्था रहेगी। प्रारंभिक तौर पर इसी सोमवार से 7 दिन का ट्रायल किया जा रहा है। सब कुछ ठीक रहा, तो आगे स्थाई रूप से चलायमान दर्शन व्यवस्था जारी रखेंगे।
अभी ये है व्यवस्था
वर्तमान में भस्म आरती के दर्शनों के लिए एक दिन पहले ऑनलाइन और ऑफलाइन परमिशन लेनी पड़ती है। इसमें 200 रुपए की रसीद कटती है। कोविड के कारण 1500 लोगों को एंट्री दी जा रही है। दर्शन करने के लिए दो हजार लोग आते हैं, जबकि दो हजार से ज्यादा लोगों को अनुमति नहीं मिल पाती। वे बाहर ही खड़े रहते हैं। बता दें कि इससे पहले सिंहस्थ 2016 में भक्तों की भीड़ को देखते हुए चलायमान व्यवस्था बनाई गई थी।
भस्म आरती के नाम पर वसूली भी नहीं होगी
मंदिर में बाहर से आने वाले श्रद्धालु को भस्म आरती कराने के नाम पर कई लोगों द्वारा रुपए लेकर ठगी की जाती है। दर्शन की कामना से आने वाले श्रद्धालु पैसे देकर भी अनुमति लेते हैं। मंदिर समिति की चलायमान भस्म आरती दर्शन व्यवस्था शुरू होती है, तो दर्शनार्थी नि:शुल्क दर्शन कर सकेंगे। वहीं, श्रद्धालुओं को अनुमति दिलाने के नाम पर ठगने वाली घटनाओं में भी रोक लगेगी।
महाकाल की पालकी रथ के रूप में ले जाने पर भी चर्चा
बैठक में आने वाले श्रावण मास में निकलने वाली महाकाल की पालकी को रथ के रूप में निकालने का भी प्रस्ताव आया। कलेक्टर ने कहा कि प्रस्ताव में पालकी की ऊंचाई बढ़ाने की भी बात है। इस संबंध में पुजारियों और पुरोहितों से चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।